राम कुमार वर्मा वाक्य
उच्चारण: [ raam kumaar vermaa ]
उदाहरण वाक्य
- अतः हमें उसकी ओर विशेष ध्यान नहीं देना चाहिए।”13 यहाँ डॉ. राम कुमार वर्मा की मानसिक भागदौड़ देखी जा सकती है कि बिजली खाँ ने कबीर का रोजा उनकी जन्म तिथि के उपलक्ष में बनवाया था।
- आज ३ ० जनवरी को महात्मा गांधी की ' पुण्य तिथि ' पर प्रस्तुत है डा. राम कुमार वर्मा की एक कविता जो पहली बार मार्च १ ९ ४ ८ के ' आजकल ' में प्रकाशित हुई थी-
- राम कुमार वर्मा जी की फजीहत अपनी आँखों से देख चूका हूँ. (वह कहानी फिर कभी) और डा. साहेब चाहे तो इसे कोई मस्का मारना कहे “ मैं तो गोलियां ही खा के जिंदा हूँ ” (डाक्टरों की).
- कारण डा. राम कुमार वर्मा जी की फजीहत अपनी आँखों से देख चूका हूँ.(वह कहानी फिर कभी) और डा. साहेब चाहे तो इसे कोई मस्का मारना कहे “ मैं तो गोलियां ही खा के जिंदा हूँ ” (डाक्टरों की).
- इस मौके पर कमेटी के जिला सचिव रमेश वढेरा, राजिंदर चावला, कुलवंत सिंह, हरीराम तथा तेजा सिंह के अलावा जमहूरी किसान सभा के जिला सचिव कुलवंत सिंह, अवतार सिंह, मजदूर सभा के सचिव राम कुमार वर्मा तथा गुरमेज गेजी आदि उपस्थित थे।
- कार्यकर्ताओं में से भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष राय, ज्ञान तिवारी, अनूप गुप्ता, राम कुमार वर्मा, विधायक अजय मिश्रा, विनोद मिश्रा, लोकेन्द्र प्रताप सिंह, रिन्कू शुक्ला मुख्य रूप से सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे।
- डा. राम कुमार वर्मा का मत भी यही है-“मुसलमानों के बढ़ते हुए आतंक ने हिंदुओं के हृदय में भय की भावना उत्पन्न कर दी थी इस असहायावस्था में उनके पास ईश्वर से प्रार्थना करने के अतिरिक्त अन्य कोई साधन नहीं था।”
- छत्तीसगढ़ी के विकास में विद्याभूषण मिश्र, मुकुन्द कौशल, हेमनाथ वर्मा विकल, मन्नीलाल कटकवार, बिसंभर यादव, माखनलाल तंबोली, रघुवर अग्रवाल पथिक, ललित मोहन श्रीवास्तव, डॉ. पालेश्वर शर्मा, श्री राम कुमार वर्मा बाबूलाल सीरिया, नंदकिशोर तिवारी, मुरली चंद्राकर, प्रभंजन शास्त्री, रामकैलाश तिवारी का विशेष योगदान रहा है।
- मैं उन दिनों बैंक रोड पर रहता था-बैंक रोड तब एक जाना माना नाम था जहाँ फिराक गोरखपुरी जैसे अजीम शायर और डॉ राम कुमार वर्मा जैसे मूर्धन्य साहित्यकार कवि और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के अनेक ख्यातिलब्ध प्रोफेसरों के मकान थे-राज्यलक्ष्मी वर्मा जैसी मुखर वक्ता भी वहीं रहती थीं और... और...
- प्रो. रंजना अरगडे ने शमशेर से जुड़ी सामग्री तथा राजलक्ष् मी वर्मा ने राम कुमार वर्मा के साहित् य-पांडुलिपि सहित जीवन से जुड़ी वस् तुएं प्रदान की हैं और इस कड़ी में विष् णु प्रभाकर जी के परिवार से उनके द्वारा लिखी गई अप्रकाशित डायरी सहित अन् य सामग्रियां प्राप् त हुई हैं।