रूठी रानी वाक्य
उच्चारण: [ ruthi raani ]
उदाहरण वाक्य
- कभी कभी एक दासी के रूप के आगे नतमस्तक हो गया राज तो कभी राजा ने नाराज रानी ऐसी रूठी कि उसका नाम ही रूठी रानी पड़ गया।dainikbhaskar. com अपने पाठकों के लिए राजस्थान की प्रेम कहानियां सीरीज में ऐसी ही कई कहानियां लेकर...
- छोटी छोटी कहानियों से शुरू होने वाला ये सफर अफसानों से गुज़रता हुआ नाविलों की सूरत इख़तियार कर गया और प्रेम चंद की कलम ने रूठी रानी, कृष्णा, वरदान, प्रतिज्ञा से चलते चलते प्रेमाश्रम, निर्मला, रंगभूमी, कर्मभूमी, गोदान और गबन जैसी नाविलें लिख कर दुनिया को चौंका दिया।
- छोटी छोटी कहानियों से शुरू होने वाला ये सफर अफसानों से गुज़रता हुआ नाविलों की सूरत इख़तियार कर गया और प्रेम चंद की कलम ने रूठी रानी, कृष्णा, वरदान, प्रतिज्ञा से चलते चलते प्रेमाश्रम, निर्मला, रंगभूमी, कर्मभूमी, गोदान और गबन जैसी नाविलें लिख कर दुनिया को चौंका दिया।
- आपने जोधपुर की रूठी रानी के बारे में पढ़ते हुए उसकी दासी भारमली का नाम भी पढ़ा होगा | जैसलमेर की राजकुमारी उमादे जो इतिहास में रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध है अपनी इसी रूपवती दासी भारमली के चलते ही अपने पति जोधपुर के शक्तिशाली शासक राव मालदेव से रूठ गई थी और मालदेव के ला...
- आपने जोधपुर की रूठी रानी के बारे में पढ़ते हुए उसकी दासी भारमली का नाम भी पढ़ा होगा | जैसलमेर की राजकुमारी उमादे जो इतिहास में रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध है अपनी इसी रूपवती दासी भारमली के चलते ही अपने पति जोधपुर के शक्तिशाली शासक राव मालदेव से रूठ गई थी और मालदेव के ला...
- रूठी रानी के बारे में पिछली पोस्ट पर संजय व्यास ने दासी भारमली व बाड़मेर के कोटड़ा के स्वामी बाघाजी राठौड़ के बीच प्रेम कहानी की विस्तृत जानकारी देने हेतु अपनी टिप्पणी में अनुरोध किया था सो अगली पोस्ट में उस इतिहास प्रसिद्ध खुबसूरत व चर्चित दासी भारमली व बाघजी राठौड़ की प्रेम कहानी पर चर्चा की जाएगी |
- जमाना में रूठी रानी की कथा के समापन पर अगस्त 1907 ई० के अंक में स्पष्ट अक्षरों में अंकित है-“माखूज़ व तर्जुमा अज़ हिन्दी”, अर्थात् हिन्दी से लिया और रूपांतरित किया गया.किंतु प्रेमचंद के जीवनकाल में भी और उनके निधनोपरांत भी मुंशी देवी प्रसाद द्वारा लिखित एवं भारत मित्र प्रेस कलकत्ता से 1906 ई० में हिन्दी में प्रकाशित रूठी रानी नवाब राय के मनाने पर ऐसा सध गयी कि उन्हीं की होकर रह गयी.
- जमाना में रूठी रानी की कथा के समापन पर अगस्त 1907 ई० के अंक में स्पष्ट अक्षरों में अंकित है-“माखूज़ व तर्जुमा अज़ हिन्दी”, अर्थात् हिन्दी से लिया और रूपांतरित किया गया.किंतु प्रेमचंद के जीवनकाल में भी और उनके निधनोपरांत भी मुंशी देवी प्रसाद द्वारा लिखित एवं भारत मित्र प्रेस कलकत्ता से 1906 ई० में हिन्दी में प्रकाशित रूठी रानी नवाब राय के मनाने पर ऐसा सध गयी कि उन्हीं की होकर रह गयी.
- 18-शेखावत वंश 19-शेखावत वंश की शाखाएँ-1 20-शेखावत वंश की शाखाएँ-2 21-शेखावत वंश की शाखाएँ-3 22-महाराणा प्रताप के बारे में एक गलत भ्रांती 23-राजस्थान में अंगरेजों का दखल 24-चित्तोड़ के जौहर और शाके 25-जोधपुर की रूठी रानी 26-सर प्रताप और जोधपुरी कोट 27-एक राजा का साधारण औरत द्वारा मार्गदर्शन 28-बीच युद्ध से लौटे राजा को रानी की फटकार 29-हाड़ी रानी और उसकी सैनाणी (निशानी) 30-जालौर का जौहर और शाका 31-रणथंभोर दुर्ग 32-देवताओं की साल व वीरों का दालान (मंडोर-जोधपुर)