लाल बहादूर शास्त्री वाक्य
उच्चारण: [ laal bhaadur shaasetri ]
उदाहरण वाक्य
- आधुनिक भारत के तीन नायकों से मैं खुद को प्रभावित महसूस करता हूँ: 1. स्वामी विवेकानन्द, 2. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और 3. लाल बहादूर शास्त्री ।
- इसे हम भारतवासियों का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि हम आज तक सुभाष चन्द्र बोस ही नहीं, लाल बहादूर शास्त्री और श्यामाप्रसाद मुखर्जी की मौतों पर से भी पर्दा नहीं हटा पाये हैं।
- देसाई भी नेहरू के बाद प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष कामराज ने नेहरू के निधन के बाद पहले लाल बहादूर शास्त्री और शास्त्री के निधन के बाद इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवा दिया।
- जय जवान, जय किसान, यह नारा भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादूर शास्त्री ने दिया था, यह बात हम सब को मालूम है, इस नारे से प्रभावित होकर उपकार फिल्म का निर्माण हूआ यह भी हम लोग जानते हैं।
- देश ने जहां महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादूर शास्त्री आदि के समाधि, स्मृति व गांवों में बसे उनकी यादों को संजो कर संरक्षित किए हुए है, वहीं इन सभी महापुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिला कर आजादी की लड़ाई लड़ने वाले देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.
- अन्त में, मैं “ आम भारतीयों ” के लिए ही (इतिहासकारों पर इसका भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा-मैं जानता हूँ) लाल बहादूर शास्त्री जी के भाषण से उनका एक कथन उद्धृत करना चाहूँगा-शायद शास्त्री जी का यह कथन उनकी अन्तरात्मा को झकझोर सके-
- भास्कर न्यूज-!-जोगेंद्रनगरभारतीय जीवन बीमा निगम अभिकर्ता संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश चौहान ने संगठन की 48वीं वर्षगांठ के मौके बताया कि जिस प्रकार 2 अक्टूबर पूरे देश में महात्मा गांधी व लाल बहादूर शास्त्री के बलिदान के लिए विशेष दिन के रूप में मनाया जाता है।
- एक ओर जहाँ देश महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादूर शास्त्री आदि के समाधि, स्मृति आ गांवन में बसल उनुकर याद के संजो के संरक्षित कइल गइल बाटे, ओहिजे दोसरा ओर एह सभ लोगन का संगे कंधा से कंधा मिला के आजादी के लड़ाई लडे वाले देश के पहिला राष्ट्रपति डा.
- देश ने जहां महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादूर शास्त्री आदि के समाधि, स्मृति व गांवों में बसे उनकी यादों को संजो कर संरक्षित किए हुए है, वहीं इन सभी महापुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिला कर आजादी की लड़ाई लड़ने वाले देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.
- पहले पार्टियां और राजनेता इतनी नीचता पर नहीं उतर आते थे! दुर्घटना होते ही पूरी जिमेदारी लेते थे और मंत्री पद से इस्तीफा दे देते थे! लाल बहादूर शास्त्री जी ने एक मामूली रेल दुर्घटना होने पर अपने पद रेलवे मिनिस्टर की कुर्सी खाली कर दी थी, लेकिन आज राजनेताओं और नेताओं की वह समर्पण और त्याग की भावना मर चुकी है!