लैलतुल क़द्र वाक्य
उच्चारण: [ lailetul keder ]
उदाहरण वाक्य
- और नववी ने इसी के द्वारा अपनी बात का आरंभ किया है, उन्हों ने फरमाय: उलमा ने कहा है कि इस रात का नाम लैलतुल क़द्र इसलिए रखा गया है कि फरिश्ते इसमें भाग्यों (अक़दार) को लिखते हैं क्योंकि अल्लाह का फरमान है: “ इसी रात में हर एक मज़बूत काम का फैसला किया जाता है।
- तथा आप नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के इस फरमान का भी उत्तर देने वाला हो जायेंगे कि: ” जिस व्यक्ति ने ईमान के साथ और अज्र व सवाब की नीयत से रमज़ान का रोज़ा रखा उसके पिछले पाप क्षमा कर दिये जायेंगे, और जिस व्यक्ति ने ईमान के साथ और अज्र व सवाब की नीयत से लैलतुल क़द्र (शबे क़द्र) का क़ियाम किया, तो उसके पिछले गुनाह माफ कर दिये जायेंगे।
- तो कुछ लोगों ने कहा है कि: वह लैलतुल क़द्र है, जबकि कुछ अन्य लोगों का कहना है कि वह आधे शाबान (पंद्रहवीं शाबान) की रात है, उन्हों ने कहा: इस बारे में शुद्ध (सही) बात उन लोगों का कथन है जिन्हों ने इस से लैलुत क़द्र (क़द्र की रात) मुराद लिया है, क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने इस बात की सूचना दी है कि वह रात इसी तरह (अर्थात क़द्र वाली) है और वह अल्लाह तआला का यह कथन है:
- नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ईमान के साथ और अज्र व सवाब (पुण्य) की नीयत से क़द्र की रात (शबे क़द्र) को क़ियाम करने (अर्थात इबादत में बिताने) पर उभारा और बल दिया है, अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया है कि आप ने फरमाया: ” जिस व्यक्ति ने ईमान के साथ और अज्र व सवाब की आशा रखते हुए लैलतुल क़द्र को क़ियामुल्लैल किया (अर्थात् अल्लाह की इबादत में बिताया) तो उसके पिछले गुनाह क्षमा कर दिए जायेंगे।