विजय मोहन सिंह वाक्य
उच्चारण: [ vijey mohen sinh ]
उदाहरण वाक्य
- अपने स्तंभ ' अनंतिम ' में विजय मोहन सिंह शुरुआत अपने पूर्व प्रकाशित लेखों पर सफाई देते हुए की है, और आगे उन्होंने दो कहानियों कि सुन्दर समीक्षा प्रस्तुत कि है
- अतिथि लेखक के रूप में अपने एक वर्ष के कार्यकाल को रेखांकित करते हुए विजय मोहन सिंह ने विश्वविद्यालय परिवार के स्नेह, सहयोग और आत्मीयता के प्रति अपनी भावनाएं व्यक् त की।
- 30 बजे शिमला माल रोड़ पर स्थित रोटरी टाउन हाल में ‘पहाड़ की रचनाशलता पर‘ एक ' राष्ट्रीय लेखक सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रतिष्ठित कथाकार और आलोचक डॉ. विजय मोहन सिंह ने की।
- सत्येन कुमार, शानी, दुष्यंत त्यागी, शरद जोशी, सोमदत्त, फ़जल ताबिश और किसी दम के लिए निर्मल वर्मा, कृष्णा सोबती, दिलीप चित्रे, कृष्ण बलदेव वैद और जे. स्वामीनाथन तथा वी.बी. कारथ तथा विजय मोहन सिंह का भोपाल।
- मसलन रामधारी सिंह दिनकर, शमशेर बहादुर सिंह, ठाकुर जगमोहन सिंह, केदारनाथ सिंह, काशीनाथ सिंह, नामवर सिंह, विजय मोहन सिंह, सुभद्राकुमारी चौहान, उदयप्रकाश और विजय बहादुर सिंह आदि आदि.
- बटरोही की कहानी भागता हुआ ठहरा आदमी (समकालीन भारतीय साहित्य-43) में जीवनशैली को निरंतर बदलता विचार है तो कथा श्यामा सुन्दरी (समकालीन भारतीय साहित्य-43) में विजय मोहन सिंह ने तत्सम शब्दों से कथा कही है.
- जिसमें डॉ. गंगा प्रसाद विमल, शीर्ष कथाकार नया ज्ञानोदय के संपादक तथा भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक रवीन्द्र कालिया, आलोचक डॉ. विजय मोहन सिंह, कथाकार चित्रा मुद्गल, कथाकार अखिलेश सम्मिलित थे ।
- विजयमोहन सिंह की पुस्तकें चाय के प्याले में गेंद विजय मोहन सिंह पृष्ठ 117 मूल्य $ 12. 95चाय के प्याले में गेंदआगेबीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य विजयमोहन सिंह पृष्ठ 259 मूल्य $ 15.95प्रस्तुत ह बीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य....आगे
- ज्ञानोदय-2 ज्ञानोदय मई अंक मे छपी संपादकीय और विजय मोहन सिंह की ८०-९० दशक की कहानी पर टिप्पणी उनके पूर्वाग्रह को प्रकट करती है. जाहिर है वे संकेतो से कुछ खास लेखकों (जैसे उदय प्रकाश) पर निशाना साध रहे हैं.
- बटरोही की कहानी भागता हुआ ठहरा आदमी (समकालीन भारतीय साहित्य-43) में जीवनशैली को निरंतर बदलता विचार है तो कथा श्यामा सुन्दरी (समकालीन भारतीय साहित्य-43) में विजय मोहन सिंह ने तत्सम शब्दों से कथा कही है.