विज्ञानभिक्षु वाक्य
उच्चारण: [ vijenyaanebhikesu ]
उदाहरण वाक्य
- प्रसिद्ध भाष्यकार विज्ञानभिक्षु ने भी सांख्य को आगम या श्रुति का सत् तर्कों द्वारा किया जाने वाला मनन ही माना है।
- आचार्य विज्ञानभिक्षु से पूर्व कारिकाव्याख्याओं के आधार पर प्रचलित दर्शन में दो ही शरीर सूक्ष्म तथा स्थूल मानने की परम्परा रही है।
- विज्ञानभिक्षु के अनुसार सूक्ष्म शरीर बिना अधिष्ठान शरीर के नहीं रह सकता अत: स्थूल शरीर को छोड़कर शरीर ही है * ।।
- ऐसा प्रतीत होता है कि सांख्यसूत्रों का प्राचीन पाठ अनिरुद्धवृत्त् में यथावत् रखा गया जबकि विज्ञानभिक्षु ने कारिका के आधार पर पाठ स्वीकार किया।
- विज्ञानभिक्षु ही ऐसे प्रथम सांख्याचार्य हैं जिन्होंने किसी दर्शन को ' मल्ल ' घोषित न कर एक ही धरातल पर समन्वित रूप में प्रस्तुत किया।
- इनके विपरीत विज्ञानभिक्षु ने सूत्र ' सप्तदशैकम् लिंगम् * ' की व्याख्या करते हुए ' सत्रह ' तत्त्वों वाला ' एक ' ऐसा स्वीकार करते हैं।
- व्यास भास ' पर टीका लिखने वाले दो महान भाष्यकार वाचस्पति और विज्ञानभिक्षु हमारे इस विचार से सहमत हैं कि पतंजलि योग के प्रतिष्ठापक नहीं बल्कि संपादक थे।
- विज्ञानभिक्षु अनिरुद्ध की इस मान्यता की कि सांख्यदर्शन अनियतपदार्थवादी है-कटु शब्दों में आलोचना करते हैं * अनिरुद्ध ने कई स्थलों पर सांख्य दर्शन को अनियत पदार्थवादी कहा है।
- इस प्रकार विज्ञानभिक्षु सांख्य दर्शन में ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करके योग, वेदान्त तथा श्रुति-स्मृति की धारा में सांख्य दर्शन को ला देते हैं, जैसा कि महाभारत पुराणादि में वह उपलब्ध था।
- फिर, कपिल प्रणीत सूत्र द्वारा वेद के स्वत: प्रामाण्य को स्वीकार किया गया है-' निजशक्यभिव्यक्ते स्वत: प्रमाण्यम् * ' इस सूत्र में अनिरुद्ध, विज्ञानभिक्षु आदि भाष्यकारों ने स्वत: प्रामाण्य को स्पष्ट किया है।