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वित्र वाक्य

उच्चारण: [ viter ]

उदाहरण वाक्य

  1. नमाज़े शब या नमाज़े तहज्जुद एक मुसतहब्बी नमाज़ है जिस की गयारह रकतें हैं आठ रकअत नमाज़े शब की नीयत से, दो रकअत नमाज़े शफ़ा की नीयत से और एक रकअत नमाज़े वित्र की नीयत से पढ़ी जाती है, नमाज़े शफ़ा के अंदक क़ुनूत नही होता और नमाज़े वित्र एक रकअत है जिस में कुनूत के साथ चालीस मोमिनीन का नाम लिया जाता है।
  2. नमाज़े शब या नमाज़े तहज्जुद एक मुसतहब्बी नमाज़ है जिस की गयारह रकतें हैं आठ रकअत नमाज़े शब की नीयत से, दो रकअत नमाज़े शफ़ा की नीयत से और एक रकअत नमाज़े वित्र की नीयत से पढ़ी जाती है, नमाज़े शफ़ा के अंदक क़ुनूत नही होता और नमाज़े वित्र एक रकअत है जिस में कुनूत के साथ चालीस मोमिनीन का नाम लिया जाता है।
  3. नमाज़े शब या नमाज़े तहज्जुद एक मुसतहब्बी नमाज़ है जिस की गयारह रकतें हैं आठ रकअत नमाज़े शब की नीयत से, दो रकअत नमाज़े शफ़ा की नीयत से और एक रकअत नमाज़े वित्र की नीयत से पढ़ी जाती है, नमाज़े शफ़ा के अंदक क़ुनूत नही होता और नमाज़े वित्र एक रकअत है जिस में कुनूत के साथ चालीस मोमिनीन का नाम लिया जाता है।
  4. -इसी प्रकार उस आदमी से भी यह हुक्म समाप्त हो जाता है जो किसी चौपाये या अन्य वाहन पर सवारी की हालत में नफ्ल या वित्र नमाज़ पढ़ रहा हो, जबकि ऐसे आदमी के लिए मुसतहब (बेहतर) यह है कि यदि संभव हो तो तकबीरतुल एहराम कहते समय अपना चेहरा क़िब्ला (काबा) की ओर करे, फिर उस सवारी के साथ मुड़ता रहे चाहे जिधर भी उस का रुख हो जाये।
  5. इसका कारण हदीस से मिलता है, अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने इब्न अब्दुल्लाह और सुफ़यान से कहा है, कि अल्लाह को “ वित्र ” यानि विषम संख्या (Odd) बहुत पसंद हैक्योंकि अल्लाह खुद विषम है, इसलिए अल्लाह के सब प्रकार के नाम मिला कर नब्बे और नौ नाम अर्थात निन्यानवे नाम हैं, और जो अल्लाह को इन नामों से पुकारेगा, या इन नामों को याद करेगा वह जन्नत में दाखिल होगा.
  6. या तो आप उसे एक साथ एक ही तशह्हुद से पढ़ते थ, या आप दो रक्अत से सलाम फेर देते, फिर एक रक्अत पढ़ते और उस से सलाम फेर देते, और आप उसे मग़्रिब की नमाज़ के समान-दो तशह्हुद और एक सलाम के साथ-नहीं पढ़ते थे, बल्कि आप ने इस से मना किया है, चुनांचे आप ने फरमाया: “ तीन रक्अत वित्र (इस तरह) न पढ़ो कि मग्रिब के समान हो जाए।
  7. भारत की वर्तमान राजनीति एवं उसकी चालों से अनभिग्य, अभिमन्यु बाबा राम देव जी एवं अन्ना जी कुछ लोगों की कुटिल नीति का शिकार हो गए … आदरणीय कुशवाहा जी जड़ें तो बहुत खोदी गयी पहाड़ सा पर निकला चूहा पूरी टीम को तितर वित्र करने के लिए यही तो है गुंडा राज जो सामने आये लतिया दो सब दर जाएँ इसे आप कितना प्रजातंत्र का दर्जा देंगे अच्छी बात कोई कह रहा हो और उसे धमकाया जा रहा हो पीता जा रहा हो सरे आम..
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