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विशुद्धि चक्र वाक्य

उच्चारण: [ vishudedhi chekr ]

उदाहरण वाक्य

  1. कण्ठ में विशुद्धि चक्र है, यह चक्र मस्तिष्क तथा हृदय के बीच में दोनों के बीच समन्वय सन्तुलन बनाता है, इसलिए इस प्राणायाम में कण्ठ को सक्रिय करते हुए प्राणायाम किया जाता है।
  2. नाक के ऊपर भृकुटि के साथ ही आज्ञा चक्र भी जुड़ा हुआ है उसके बाद सहस्त्रात चक्र, विशुद्धि चक्र, अनाहत चक्र, मणिपुर चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र तथा मूलाधार चक्र की तरफ ध्यान को घुमाते रहना चाहिये।
  3. जागते समय हम मस्तिष्क और हृदय, इन दोनों चक्रों में ही रहते हैं ; खर्राटा वह परम ध् वनि है, जो सोते समय गले में स्थित विशुद्धि चक्र से पैदा होकर नाक से होते हुए आज्ञाचक्र तक जाती है।
  4. बाद में विशुद्धि चक्र, जो कि गले में स्थित है, अनाहात चक्र, जो कि हृदय क्षेत्र के पास है, दोनों फेफड़ों पर आगे एवं पीछे, मणिपुर चक्र, जो कि फेफड़ों के नीचे बीच में स्थित है पर 5-5-5 मिनट रेकी देना चाहिए।
  5. ये वृत्तियॉ पचास बताई गई हैं-मूलाधार चक्र में-4 स्वाधिष्ठान चक्र में-6 मणिपुर चक्र में-10 अनाहत चक्र में-14 विशुद्धि चक्र में-16 तथा आज्ञा चक्र में-2 वृत्तियॉ होती हैं, जिन्हैं कि योग शास्त्र में कमलदल कहा जाता है।
  6. प्रवाहक अपनी संकल्प शक्ति से रोगी के ऊर्जा शरीर पर तथा अपने स्पर्श द्वारा रोगी के स्थूल शरीर पर, ऊर्जा का प्रक्षेपण करता है तथा कभी-कभी आवश्यकतानुसार अपने आज्ञा चक्र के अतिरिक्त विशुद्धि चक्र एवं मूलाधार चक्र का भी प्रयोग करता है।
  7. वहां दीये की लौ के सामान आकार वाले शिष्य के जीव को कुण्डलिनी के मुख में लेकर विशुद्धि चक्र (कंठ में) एवं आज्ञा चक्र (भ्रूमध्य) का भेदन करते हैं और ब्रह्मरंध्र में स्थित सहस्रार चक्र में ले जाते हैं.
  8. मूलाधार चक्र हमारे भौतिक शरीर के गुप्तांग, स्वाधिष्ठान चक्र उससे कुछ ऊपर, मणिपुर चक्र नाभि स्थान में, अनाहत हृदय में, विशुद्धि चक्र कंठ में, आज्ञा चक्र दोनों भौंओ के बीच जिसे भृकुटी कहा जाता है और सहस्रार चक्र हमारे सिर के चोटी वाले स्थान पर स्थित होता है।
  9. बाद में विशुद्धि चक्र, जो कि गले में स्थित है, अनाहात चक्र, जो कि हृदय क्षेत्र के पास है, दोनों फेफड़ों पर आगे एवं पीछे, मणिपुर चक्र, जो कि फेफड़ों के नीचे बीच में स्थित है पर 5-5-5 मिनट रेकी देना चाहिए।
  10. मूलाधार चक्र हमारे भौतिक शरीर के गुप्तांग, स्वाधिष्ठान चक्र उससे कुछ ऊपर, मणिपुर चक्र नाभि स्थान में, अनाहत हृदय में, विशुद्धि चक्र कंठ में, आज्ञा चक्र दोनों भौंओ के बीच जिसे भृकुटी कहा जाता है और सहस्रार चक्र हमारे सिर के चोटी वाले स्थान पर स्थित होता है।
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