शजरा वाक्य
उच्चारण: [ shejraa ]
उदाहरण वाक्य
- कैसा शजरा (वंशावली) कहाँ के दीन धरम ख़ून तो जिस्म ही बनाता है जिस्म को शख़्सियत बनाने में सिर्फ़ माहौल काम आता है मैं जहाँ हूँ, वहीं है घर मेरा उसी घर में रिवाज है मेरा इसी घर से समाज है मेरा
- इसमें क्या परेशानी हैं? यही बात तो मेरे आदरणीय पतिदेव फरमाते हैं लेकिन ये हिन्दुस्तानी जनता सीढियों पे ही अटक जाती है,कौन समझाए? लेकिन चित्र बेमिसाल है रचना के विषय में कुछ नहीं कहूंगी..... पहले चाचाओं का शजरा मुकम्मल हो जाए!!!!!!!!!!!
- औरंगज़ेब ने मंदिरों को जागीरें दी हैं @ भाई गिरी जी! यह आप ही कर सकते थे और आपने ही किया भी कि पूरी नज़्म पर तो अपने एक लाइन न लिखी कि कैसी लगी और अल्लामा इक़बाल का शजरा बयान कर डाला.
- का क़ौम व क़बीला कह कर अन्सार से बाज़ी जीत ली है तो यह लतीफ़ जुमला (मृदुल वाक्य) फ़रमाया कि शजरा एक होने से तो दलील लाए हैं और उस के फ़लों को ज़ाए (नष्ट) कर दिया है कि जो पैग़म्बर (स.) के अहले बैत हैं।
- हम नुबुवत का शजरा (वंशावली) रिसालत की मंज़िल मलायका की फ़रोदगाह, इल्म का मअदिन, और हिकमत का सरचश्मा हैं हमारी नुसरत करने वाला और हम से महब्बत करने वाला रहमत के लिये चश्म बराह है, और हम से दुश्मनी व इनाद रखने वाले को क़हरे इलाही का मुन्तज़िर रहना चाहिये।
- खी है “ कि मुझ पर रुक जाएगा खानदानी शजरा ” ' लेकिन कवि अपनी बेटी से पूरी दृढ़ता से कहता है-कि विश्वास करो मुझ पर खत्म नहीं होगा वह शजरा / वह तो शुरू होगा मेरे बाद / तुमसे! ये शब्द जहां रूढियों का खंडन करते है वहीं स्त्री को समानता का दर्जा प्रदान करते हैं।
- खी है “ कि मुझ पर रुक जाएगा खानदानी शजरा ” ' लेकिन कवि अपनी बेटी से पूरी दृढ़ता से कहता है-कि विश्वास करो मुझ पर खत्म नहीं होगा वह शजरा / वह तो शुरू होगा मेरे बाद / तुमसे! ये शब्द जहां रूढियों का खंडन करते है वहीं स्त्री को समानता का दर्जा प्रदान करते हैं।
- सारा परिवार दु: खी है “ कि मुझ पर रुक जाएगा खानदानी शजरा ”' लेकिन कवि अपनी बेटी से पूरी दृढ़ता से कहता है-कि विश्वास करो मुझ पर खत्म नहीं होगा वह शजरा / वह तो शुरू होगा मेरे बाद / तुमसे! ये शब्द जहां रूढियों का खंडन करते है वहीं स्त्री को समानता का दर्जा प्रदान करते हैं।
- सारा परिवार दु: खी है “ कि मुझ पर रुक जाएगा खानदानी शजरा ”' लेकिन कवि अपनी बेटी से पूरी दृढ़ता से कहता है-कि विश्वास करो मुझ पर खत्म नहीं होगा वह शजरा / वह तो शुरू होगा मेरे बाद / तुमसे! ये शब्द जहां रूढियों का खंडन करते है वहीं स्त्री को समानता का दर्जा प्रदान करते हैं।