शिवदान सिंह चौहान वाक्य
उच्चारण: [ shivedaan sinh chauhaan ]
उदाहरण वाक्य
- जैनेन्द्र और शिवरानी देवी के बाद इसके संपादक शिवदान सिंह चौहान और श्रीपत राय फिर अमृत राय और फिर नरोत्तम नागर रहे।
- लोगों का यह ख्याल गलत है कि रामविलास शर्मा, शिवदान सिंह चौहान तथा हिन्दी उर्दू के विवाद के कारण संगठन कमजोर हुआ।
- उन्होंने स्वयं कहा है कि ” बनारस में शिवदान सिंह चौहान के सत्संग से सहित्य के प्रगतिशील आंदोलन में कुछ दिलचस्पी पैदा हुई।
- यही वह संदर्भ था जिसकी वजह से शिवदान सिंह चौहान, राहुल सांकृत्यान, यशपाल, रांगेय गाघव आदि से उनकी टकराहट हुई।
- शिवदान सिंह चौहान स्वीकार कर चुके थे कि संघ परिवार का गुप्त एजेंडा फासीवाद है और उससे लड़ने वाले वामपंथी कोई हैं ही नहीं।
- शिवदान सिंह चौहान को प्रेमचंद द्वारा १९१९ में ' ८ामाना' में यह लिखा देखना चाहिए था कि, 'पूँजी और संपत्ति से खूनी लड़ाइयाँ लड़नी पड़ेंगी।
- शिवदान सिंह चौहान लिखते हैं कि, 'वे ;प्रेमचंदद्ध श्रेणी संद्घर्ष को अस्वीकार कर उच्च श्रेणियों के विशेष 'हक' मानकर अन्त में समझौता करा देते हैं।
- रामविलास शर्मा और शिवदान सिंह चौहान के संपर्क में आने से इनका झुकाव मार्क्सवादी चिंतन की तरफ़ गया, जिससे ये प्रगतिशील आन्दोलन के साथ जुड़ गए।
- वहां शिवदान सिंह चौहान जैसी आलोचनात्मक प्रतिभा को यह दिन देखना पड़े, उससे शोचनीय दशा किसी भाषा साहित्य की और क्या हो सकती है.
- ' आलोचना ' के जनवरी, 1966 (सम्पादक-शिवदान सिंह चौहान) में उनका एक निबन्ध प्रकाशित हुआ ' हिन्दी में आँचलिक उपन्यास ' ।