श्रीपाल सिंह वाक्य
उच्चारण: [ sheripaal sinh ]
उदाहरण वाक्य
- डॉ. श्रीपाल सिंह क्षेम के चर्चित मुक्तकों में से कुछ एक को मैंने अपनी एक पोस्ट में प्रकाशित भी किया. था. साहित्य के इस महारथी को चलते-चलते उनकी एक रचना से ही अपनें स्वर में नमन कर रहा हूँ...
- इस दौरान छात्रों में उत्साह वर्धन के लिये मुख्य रूप से ठा 0 रजनीश, नरेन्द्र प्रधान, ब्रिजेश सिंह, शक्ति सिंह, अरविन्द, दिग्विजय, दुष्यन्त, श्रीपाल सिंह, सुरेन्द्र सिंह, प्रहलाद सिंह, बारू सिंह इत्यादि सहित सैंकडों ग्रामीण मौजूद रहे।
- डॉ श्रीपाल सिंह क्षेम जी ने कहा था कि डॉ प्रेम जौनपुरी एक सफल गज़लकार हैं| उनके काव्य भाषा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उर्दू के शिखर को स्पर्श करने के साथ साथ हिंदी के भाव विचारों को भी अपनी रचनाओं में अवतरित करते हैं |
- कल दो सितम्बर को यशश्वी कवि और लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार स्व. डॉ श्रीपाल सिंह क्षेम के जन्मदिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय नें अपनें कुलगीत के इस महान रचनाकार के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए,आदरणीय कुलपति जी की प्रेरणा से, उनके जन्मदिवस को संस्मरण दिवस के रूप में मनाया.
- वर्ष 2012 शैक्षिक सत्र में सेवानिवृत्त जेएल इंटर कालेज गढीपुख्ता के प्रधानाचार्य सुभाष चंद त्यागी, जनता इंटर कालेज मालैंडी के श्रीपाल सिंह, चंदनलाल इंटर कालेज कांधला के ब्रजमोहन अग्रवाल तथा वैदिक इंटर कालेज कुरमाली के रक्षपाल मलिक को सेवानिवृत्ति पर आज नगर के वीवी इंटर कालेज के सम्मानित किया गया।
- कल दो सितम्बर को यशश्वी कवि और लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार स् व. ड ॉ श्रीपाल सिंह क्षेम के जन्मदिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय नें अपनें कुलगीत के इस महान रचनाकार के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए, आदरणीय कुलपति जी की प्रेरणा से, उनके जन्मदिवस को संस्मरण दिवस के रूप में मनाया.
- यह कविता १ ९ ६ १ में हिन्दी विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय की भित्ति पत्रिका में तब प्रकाशित हुयी थी जब प्रोफेसर कल्याण मल लोढा जी विभागाध्यक्ष थे! अभी तो यह राजेन्द्र स्मृति (२ ०००) से ली गयी है जिसके सम्पादक साहित्य वाचस्पति डॉ. श्रीपाल सिंह क्षेम जी हैं.
- मिथिला सिंह के अनुसार पति के भाई नीलेश दंबग किस्म का गिरोह बंद शातिर आदमी हैं उसने कल अपने साथियों बबलू, रामवीर, श्रीपाल सिंह के साथ पहुंचकर जब वह खाना बना रही थी मां और बेटे दोनो की जमकर धुनाई क दी और बेटी पुष्पा को जबरदस्ती बोलैरो मंेें लेकर चला गया।
- अपने क्षेत्र के प्रख्यात वैद्य उदरेश मिश्र का ९ ० वर्ष की अवस्था में ३ मार्च १ ९९ ३ को निधन हो गया........... ” यह शब्द चित्र हैं पूर्वांचल के प्रख्यात कवि साहित्य वाचस्पति श्रीपाल सिंह क्षेम के जो राजेन्द्र स्मृति-डॉ राजेन्द्र प्रसाद मिश्र स्मृति ग्रन्थ में संग्रहीत हैं! महिलायें अपनी पारी की बाट जोहती
- इसके अलावा संघ समागम में प्रमुख रूप से संघ के उत्तर क्षेत्रीय प्रचारक रामेश्र्वर, क्षेत्रीय कार्यवाह सीताराम व्यास, क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख श्रीकृष्ण सिंहल, सह प्रांत संघचालक पवन जिंदल, प्रांत कार्यवाह डा. श्रीपाल सिंह, विभाग संघ चालक जमुना प्रसाद, जिला संघ चालक अजीत जैन, विभाग कार्यवाह गंगाशंकर मिश्र मौजूद थे।source: http://in.jagran.yahoo.com/ epaper / index.