श्रीरामकृष्ण परमहंस वाक्य
उच्चारण: [ sheriraamekrisen permhens ]
उदाहरण वाक्य
- श्रीरामकृष्ण परमहंस कहते थे कि विचारों की धूलि रोज उड़ेगी-कषाय कल्मष चढ़ेंगे, तुम्हें अपने बर्तन रोज मांजने पड़ेंगे, इसलिए ध्यान करो।
- श्रीरामकृष्ण परमहंस का जन्म 17 फरवरी 1836 (शकाब्द 1757, फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष द्वितीया) को तदानीन्तन हुगली प्रांत के कामारपुकुर गाँव में हुआ था।
- इसी के साथ मैं आपको देने आया हूँ इस युग की महान् विभूति श्रीरामकृष्ण परमहंस एवं उनके प्रिय शिष्य स्वामी विवेकानन्द का मानवतावादी सन्देश।
- ठाकुर श्रीरामकृष्ण परमहंस कहते हैं, ‘‘ जब ईश्वर दर्शन होने लगता है, तो रमण सुख अर्थात् विषयानंद से कोटि गुना अधिक आनंद मिलता है।
- से संबद्धसन् 1884: स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण; पिता का स्वर्गवाससन् 1885: श्रीरामकृष्ण परमहंस की अंतिम बीमारी16 अगस्त, 1886: श्रीरामकृष्ण परमहंस का निधनसन् 1886:
- से संबद्धसन् 1884: स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण; पिता का स्वर्गवाससन् 1885: श्रीरामकृष्ण परमहंस की अंतिम बीमारी16 अगस्त, 1886: श्रीरामकृष्ण परमहंस का निधनसन् 1886:
- श्रीरामकृष्ण परमहंस की तरह वे पढ़े-लिखे तो बहुत सामान्य ही थे, पर उनका आंतरिक ज्ञान छोटी अवस्था से ही प्रकट होने लग गया था।
- महर्षि अरविन्द, श्रीरामकृष्ण परमहंस, भक्तिमती मीरा आदि संत हैं और इस युग को अपनी तप साधना से प्रेरित-प्रकाशित करने वाले युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव हैं।
- इस दुर्गम मोड़ पर, उनके चचेरे भार्इ रामचन्द्र दत्त ने उन्हें दक्षिणेश्वर में रहने वाली महान् आत्मा श्रीरामकृष्ण परमहंस से भेंट करने के लिए प्रोत्साहित किया ।
- 1886 में अपनी महासमाधि से कुछ ही माह पूर्व स्वामी विवेकानन्द के गुरु श्रीरामकृष्ण परमहंस ने 1 जनवरी की शाम अपने शिष्यों को बड़ा ही अद्भूत प्रसाद प्रदान किया।