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श्री गुरु गोबिंद सिंह जी वाक्य

उच्चारण: [ sheri gauru gaobined sinh ji ]

उदाहरण वाक्य

  1. एक दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी दीवान की ओर आ रहे थे कि रास्ते में एक सिक्ख दीवार पर लेप कर रहा था | दीवार के ऊपर लेप मारते समय उससे गुरु जी के पाजामे के ऊपर चिकड़ के छींटे पड़ गए |
  2. एक दिन एक सिक्ख श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की शरण में “ दखणी ओंकार ” का पाठ पढ़ रहा था | गुरु जी उसकी मीठी व सुन्दर आवाज़ के साथ बाणी का पाठ बड़े प्रेम से सुन रहे थे | परन्तु जब उसने यह चरण-
  3. गधे को शेर की पौशाक पहना कर सिखों को शिक्षा एक दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिक्खों को शिक्षा देने के लिए शेर की खाल रात के समय एक गधे को पहना दी | उस गधे को बाहर खेतों में छोड़ दिया | हरे खेत खाकर गधा बहुत मस्त हो गया |
  4. बंद पड़े क्रशरों को सील करने पर फूटा गुस्सा क्रशर मालिकों ने नाजायज धक्केशाही के खिलाफ किया संघर्ष का एलान, 21 को घनौली मंडी में होगी बैठक आक्रोश 'वाहो वाहो गोबिंद सिंह आपे गुर चेला' भास्कर न्यूज त्नआनंदपुर साहिब भारी बारिश के दौरान गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर शुक्रवार को अलग
  5. श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने ऊँची आवाज में कहा कि कोई सिख हमे अपना शीश भेंट दे | आप जी के यह वचन सुनकर भाई दया राम जी उठ कर खड़े हो गए और प्रार्थना कि गुरूजी मेरा शीश हाजिर है | गुरु जी बाजू पकड़कर तम्बू में ले गए | कुछ समय के बाद रक्त से भीगी तलवार लेकर तम्बू से बाहर आ गए |
  6. लेकिन आगे औरंगजेब ने दसवें सिख गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी, के सभी सुपुत्रों को मरवा दिया, तो गुरु परम्परा आगे न बढ़ सकी और हमें यह सिखा दिया गया कि “ सरदार ” के “ मूर्ख ” होने पर चुटकुले बनाए, सुनाएं, और उनकी हंसी उडाये-जिससे उनका मनोबल भी टूटे और हमसे “ भेद: ” भी हो ।: (
  7. गुरुद्वारा श्री जामनी साहिब गाँव बजीदपुर जिला फ़िरोजपुर में स्थित है | श्री गुरु गोबिंद सिंह जी मुक्तसर की जंग के बाद यहाँ आये थे | इतिहास में एक जट ने बनिए से गुरु साहिब जी को जामिन बना कर कर्जा लिया था पर वापिस नहीं किया | जट मर कर तीतर की जून में पड़ गया और बनिया बाज़ की जून में पड़ गया | गुरु साहिब ने बाज़ से तीतर को मरवाकर अपनी जामनी उतारी थी | यहाँ वह जंड का पेड़ भी मौजूद है ।
  8. जब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने शिष्यों को कसौटी पर कसा, तो हजारों के झुण्ड में से सिर्फ पांच पियारे ही निकले | इस लिए सच्चा शिष्य तो वही है, जो गुरु की कठिन आज्ञा को भी शिरोधार्य करने का दम रखता है | चाहे कोई भी परिस्थिति हो, उसका विश्वास, उसकी प्रीत गुरु-चरणों में अडिग रहती है | सच! शिष्य का विश्वास चट्टान की तरह मजबूत होना चाहिए | वह विश्वास नही जो जरा-सी विरोध की आँधियों में डगमगा जाए!!
  9. श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दरबार में सदा एक मेला सा लगा रहता था | एक दिन चार सिख गुरु जी के पास आए | उन्होंने आकर प्रार्थना की कि किसी ने उनकी जेब काट ली है व पैसे नकदी निकाल लिए हैं | उनकी बात सुनकर गुरु जी ने सिखों को हुक्म दिया कि संगत की भीड़ में एक आदमी जिसने सिर पर लाल पगड़ी बांधी है, कमर पर धोती है तथा उसके हाथ में माला व माथे पर चन्दन का सफ़ेद तिलक लगा हुआ है, उसे पकड़कर हमारे पास ले आओ |
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