संगीत रत्नाकर वाक्य
उच्चारण: [ sengait retnaaker ]
उदाहरण वाक्य
- यही वजह रही कि उन् होंने संगीत रत्नाकर के दूसरे अध्याय पिण्डोत्पत्ति में ही आयुर्वेद के अनुसार जीव के गर्भ में आने से लेकर उसके जन्म लेने की प्रक्रिया तक के बारे में विस् तार से वर्णन किया।
- संगीत रत्नाकर मा धेरै तालहरुको उल्लेख छ तथा यस ग्रंथ ले थाहा हुन्छ कि प्राचीन भारतीय पारंपरिक संगीत मा बदलाव आने शुरू हो चुके थिए तथा संगीत पहिले देखि उदार होने लाग्यो थियो तर मूल तत्व एक नै रहे।
- संगीत रत्नाकर में कई तालों का उल्लेख है व इस ग्रंथ से पता चलता है कि प्राचीन भारतीय पारंपरिक संगीत में बदलाव आने शुरू हो चुके थे व संगीत पहले से उदार होने लगा था मगर मूल तत्व एक ही रहे।
- संगीत रत्नाकर में कई तालों का उल्लेख है व इस ग्रंथ से पता चलता है कि प्राचीन भारतीय पारंपरिक संगीत में बदलाव आने शुरू हो चुके थे व संगीत पहले से उदार होने लगा था मगर मूल तत्व एक ही रहे।
- संगीत रत्नाकर में कई तालों का उल्लेख है व इस ग्रंथ से पता चलता है कि प्राचीन भारतीय पारंपरिक संगीत में बदलाव आने शुरू हो चुके थे व संगीत पहले से उदार होने लगा था मगर मूल तत्व एक ही रहे।
- ) यहीं रची थी गोपाल नायक ने राग देवगिरी बिलावल संगीत साधक शारंगदेव ने लिखा था संगीत रत्नाकर सारंग उपाध् याय इतिहास के गलियारों से निकलने वाले किलों की दास्ताँ कभी जंग के मैदानों से होकर सत्ता को महफूज बनाने वाली [...]
- जिसका पालन उस्ताद असद अली खाँ ने किया और अपने शिष्यों को भी इसी वाणी की शिक्षा दी | ध्रुवपद संगीत में चार वाणियों का वर्गीकरण तानसेन के समय में ही हो चुका था | “ संगीत रत्नाकर ” ग्रन्थ में यह वर्गीकरण शुद्धगीत, भिन्नगीत, गौड़ीगीत और बेसरागीत नामों से हुआ है ;
- ऐसा नहीं है कि देवगिरी का संगीत और नृत्य कला का इतिहास महज शारंगदेव और संगीत रत्नाकर तक आकर ही सिमट जाता है, बल्कि वह तो महान पखावज वादक गोपालनायक तक भी पहुँचता है जिनके बारे में कहा जाता था कि उनकी पखावज सुनकर हाथियों के झुण्ड के झुण्ड मस्ती में झूमकर खुदको उनके आगे नतमस्तक कर देते थे।
- इसके अलावा महान संगीत साधक और संगीत रत्नाकर के रचियता शारंगदेव ने खुद संगीत रत्नाकर की शुरूआत में ही इस किले के कला प्रेमी शासक वर्ग की प्रशंसा में न केवल बहुत कुछ लिख दिया बल् कि यह भी कहा कि उनके महान विद्वान, और शास्त्रों के ज्ञाता रहे पूर्वजों की असली पूछ परख भी इस किले में हुयी और वे कश्मीर छोडकर यहाँ आ बसे।
- इसके अलावा महान संगीत साधक और संगीत रत्नाकर के रचियता शारंगदेव ने खुद संगीत रत्नाकर की शुरूआत में ही इस किले के कला प्रेमी शासक वर्ग की प्रशंसा में न केवल बहुत कुछ लिख दिया बल् कि यह भी कहा कि उनके महान विद्वान, और शास्त्रों के ज्ञाता रहे पूर्वजों की असली पूछ परख भी इस किले में हुयी और वे कश्मीर छोडकर यहाँ आ बसे।