संस्कृत दिवस वाक्य
उच्चारण: [ sensekrit dives ]
उदाहरण वाक्य
- वे यहां श्री हिन्दी साहित्य समिति के शताब्दी वर्ष समारोह की श्रंखला में राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर की सहभागिता से आयोजित दो दिवसीय संस्कृत दिवस के पुरस्कार वितरण समारोह को...
- काउंटीने संस्कृत दिवस मनाने की अपनी घोषणा में कहा कि पश्चिम में हिंदू धर्म के विस्तार से यह आवश्यक है कि हिंदुत्व को समझा जाए और इसके लिए संस्कृत का ज्ञान जरूरी है।
- नेवाडा के वाशू जिला आयोग के अध्यक्ष ने कहा, '' हम यह घोषणा करते हैं वाशू जिला संस्कृत भाषा के महत्व को समझते हुए 12 जनवरी 2008 को संस्कृत दिवस के रूप में मनाएगा।
- गौरतलब है कि लगभग चार लाख की जनसंख्या वाले इस जिले में संस्कृत दिवस उसी दिन मनाया जा रहा है जिन दिनों में प्रख्यात हिंदू पुरोहित राजन जेड संस्कृत भाषा पर कक्षाएं और सम्मेलन आयोजित करेंगे।
- भास्कर न्यूज-!-रियां बड़ी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा पर शोध कर रहे सैंसड़ा के बलदेवराम खंदोलिया ने श्रावण पूर्णिमा को मनाए जाने वाले संस्कृत दिवस पर इंडोनेशिया के बाली शहर में शोध पत्र पढ़ा।
- अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए इस भाषा को सहेजना भी जरूरी है, इसीलिए हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने के बाद हिंदी दिवस मनाने की प्रथा शुरु होते ही संस्कृत दिवस की मांग की जाने लगी।
- विद्यार्थियों (ऋषि कुमारों) ने आज के दिन को संकल्प दिवस के रूप में मनाया तो संस्कृत दिवस के रूप में यह दिन मनाते हुए संस्कृत भाषा को गहराई से समझने और आत्मसात करने के संकल्प भी युवा छात्रों में उभरे।
- संस्कृत दिवस पर बिडला सभागार में सोमवार को आयोजित सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि शिक्षामंत्री बृजकिशोर शर्मा ने संस्कृत के महत्व के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में पूजा कराने वाले नहीं, प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले नहीं।
- राष्ट्रीय संग्रहालय के भव्य सभागार में संस्कृत दिवस के भव्य समारोह में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, मानव संसाधन विकास मंत्रालयाधीन मानित विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित तथा यहीं के जैनदर्शन विभाग के डॉ अनेकान्त कुमार जैन द्वारा लिखित पुस्तक...
- राष्ट्रीय संग्रहालय के भव्य सभागार में संस्कृत दिवस के भव्य समारोह में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, मानव संसाधन विकास मंत्रालयाधीन मानित विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित तथा यहीं के जैनदर्शन विभाग के डॉ अनेकान्त कुमार जैन द्वारा लिखित पुस्तक ‘