संस्कृत महाकाव्य वाक्य
उच्चारण: [ sensekrit mhaakaavey ]
उदाहरण वाक्य
- रामकथा को हिंदी भाषा क्षेत्र में हालांकि रामचरितमानस ने लोकप्रिय बनाया, तथापि अवधी भाषा का यह महाकाव्य वाल्मीकि के संस्कृत महाकाव्य रामायण पर आधारित है.
- आदिकवि कहे जाने वाले संस्कृत महाकाव्य रामायण के रचयिता महाकवि वाल्मीकि ने अपने साहित्यिक जीवन के आरम्भ से पूर्व अनेकों हत्याएं कीं, लोगों को लूटा ।
- विश्वनाथ जी के ज्ञान का दायरा प्राचीन भारतीय दर्शन, धर्मशास्त्र, संस्कृत महाकाव्य और इतिहास और भाषाशास्त्र से लेकर शेक्सपियर, बर्नार्ड शा, रसेल, डिकेन्स आदि की कृतियों तक विस्तारित था।
- रामकथा के अनेक रूप आज पाए जाते हैं, परन्तु उनमें प्राचीनतम और सम्भवत: राम का समकालीन ग्रंथ है महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण-जो संस्कृत महाकाव्य के रूप में उपलब्ध है।
- इस कड़ी में मंगलवार को मुंबई के गुलाबी थियेटर ने महाकवि कालिदास के सर्वाधिक लोकप्रिय संस्कृत महाकाव्य ‘अभिज्ञान शाकुंतलम ' को करीब 16 सदी बाद नए जमाने के अंदाज में प्रस्तुत किया गया।
- राम जी की जीवन गाथा को अनेक ऋषियों ने अपने ग्रंथों में उतारा है इनके जीवनकाल एवं पराक्रम, को महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है.
- राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि वाल्मिकि द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है| उनके उपर तुलसीदास ने भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस रचा था| ख़ास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूज्यनीय माने जाते हैं।
- राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है| उन पर तुलसीदास ने भी भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस रचा था | खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूजनीय माने जाते हैं ।
- संस्कृत महाकाव्य जगत् में इनका यह ' पार्श्वाभ्युदयमहाकाव्य ' एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है, जिसमें समस्यापूर्ति के रूप में महाकवि कालिदास के समग्र मेघदूत को बड़ी कुशलता से समाहित करके 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का चरित्र चित्रण किया गया है और अपनी विलक्षण प्रतिभा का दिग्दर्शन किया गया है।
- राघव विलास “, संस्कृत महाकाव्य, ” कुवलयाश्वचरित् “, प्राकृत भाषाबद्ध काव्य, ” नरसिंहविजय “ संस्कृत काव्य ; ” प्रभावतीपरिणय “ और ” चंद्रकला “ नाटिका तथा ” प्रशस्ति रत्नावली ” जो सोलह भाषाओं में रचित करंभक है, का उल्लेख इन्होंने स्वयं किया है और उनके उदाहरण भी आवश्यकतानुसार दिए हैं जिनसे साहित्य दर्पणकार की बहुभाषाविज्ञता और प्रगल्भ पांडित्य की अभिव्यक्ति होती है।