सात्विक गुण वाक्य
उच्चारण: [ saatevik gaun ]
उदाहरण वाक्य
- [क] सात्विक गुण तत्त्व सात्विक गुण मनुष्य को प्रभुकी तरफ ले जाता है और इस गुण के प्रभावी होनें पर........
- क्रमशः तामसी गुण न्यून होने पर राजसी गुणों की प्रधानता तथा सात्विक गुण के साथ साधक की क्षमता वैश्य श्रेणी की हो जाती है।
- राजस-तामस गुण अज्ञान के मार्ग पर ले जाते हैं और सात्विक गुण बंधन होते हुए भी ज्ञान-मार्ग पर ले जाता है ।
- वैदिक ज्योतिष विशाखा नक्षत्र को सात्विक गुण प्रदान करता है जिसका कारण अधिकतर वैदिक ज्योतिषी इस नक्षत्र का बृहस्पति के साथ संबंध मानते हैं।
- इस विषय को विस्तार न देते हुए हम इतना समझ लें कि:-सात्विक (विशुद्ध सात्विक गुण प्रधान) आकाश तत्व है।
- गीता कहता है-तामस गुण से अच्छा है राजस गुण, राजस गुण से उत्तम है सात्विक गुण लेकीन गुण चाहे कोई हो सब बंधन हैं ।
- सात्विक गुण प्रभु की ओर ले जाता है, राजस गुण भोग में पहुंचाता है और तामस गुण मोह, भय एवं आलस्य से बाधता है ।
- सात्विक गुण धारी को गीता दैवी प्रकृति वाला कहता है और राजस-तामस गुणों को जो धारण किये हैं उनको आसुरी प्रकृति वाला कहता है ।
- शिव के सखा होने से कुबेर भक्त की सभी आपत्तियों से रक्षा कर साधक में आध्यात्मिक उन्नति, शांति, सौभाग्य आदि सात्विक गुण प्रदान करते है।
- गीता का उपदेश करते हुए योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कहा-सात्विक गुण के कार्यकाल में जो शरीर का त्याग करता है, वह देव इत्यादि उन्नत योनियों को प्राप्त करता है।