सूरज का सातवाँ घोड़ा वाक्य
उच्चारण: [ surej kaa saatevaan ghoda ]
उदाहरण वाक्य
- यदि श्री फलां फलां ने विज्ञापन दिला कर सहायता ना की होती तो फलां की प्रसिद्ध कविता ' ' अंधेरे में '' अंधेरे में ही रह जाती तथा '' सूरज का सातवाँ घोड़ा '' आठवें नंबर पर रहता।
- धर्मयुग का संपादन कार्य डॉ धर्मवीर भारती की सबसे बड़ी पहचान बनी, पर उसके पहले ही उनकी रचनाएँ जैसे गुनाहों का देवता, ठंडा लोहा, कनुप्रिया और सूरज का सातवाँ घोड़ा आदि ने हिन्दी जगत में उन्हें प्रसिद्ध कर दिया था।
- सूरज का सातवाँ घोड़ा पढते हुए बार बार यही अहसास होता है कि प्रेम कोई दैवीय लोक की चीज़ नही है वह इसी संसार-जिसमे भूख, लाचारी,कपट,आर्थिक विषमताएँ हैं,के बीच जन्मता है और बमुश्किल ही फलता फूलता है या नही भी फलता फूलता है।
- वास्तव में जीवन के प्रति यह अडिग आस्था ही सूरज का सातवाँ घोड़ा है, “ जो हमारी पलकों में भविष्य के सपने और वर्तमान के नवीन आकलन भेजता है ताकि हम वह रास्ता बना सकें जिस पर होकर भविष्य का घोड़ा आयेगा।..... ”
- सूरज का सातवाँ घोड़ा पढते हुए बार बार यही अहसास होता है कि प्रेम कोई दैवीय लोक की चीज़ नही है वह इसी संसार-जिसमे भूख, लाचारी, कपट, आर्थिक विषमताएँ हैं, के बीच जन्मता है और बमुश्किल ही फलता फूलता है या नही भी फलता फूलता है।
- ‘ ख्वा ब के दो दिन ' पढ़ते हुए लगातार धर्मवीर भारती का बहुचर्चित उपन्यास “ सूरज का सातवाँ घोड़ा ', कृशन चंदर का ‘ एक गधे की आत्मकथा ', श्रीलाल शुक्ल का ‘ राग दरबारी ' और मनोहर श्याम जोशी का ‘ कुरु कुरु स्वाहा ' याद आता रहा ।
- वापसी (ई-पुस्तक) जयनंदन सल्तनत को सुनो गाँववालो जयशंकर प्रसाद कंकाल जॉर्ज ऑर्वेल एनिमल फार्म ठाकुर जगन्मोहन सिंह श्यामास्वप्न देवकीनंदन खत्री चंद्रकांता चंद्रकांता संतति चंद्रकांता संतति चंद्रकांता संतति चंद्रकांता संतति चंद्रकांता संतति चंद्रकांता संतति धर्मवीर भारती गुनाहों का देवता सूरज का सातवाँ घोड़ा प्रेमचंद अलंकार कर्मभूमि गबन गोदान निर्मला प्रेमचंद प्रतिज्ञा प्रेमा मंगल सूत्र रंगभूमि वरदान फ्योदोर दोस्तोयेव्स्की अपराध और दंड बंकिम चन्द्र चट्टोप
- बस सूरज का सातवाँ घोड़ा का एक सीन याद आ रहा है जिसमे रघुबीर यादव अपना पिछली रात का देखा सपना माणिक (रजत कपूर) को सुनते हैं और वे अपनी बात बड़ी चतुराई से उसे कब्जियत और दांते की डीवाइन कॉमेडी की तरफ मोड़ उस सपने की विभत्स छवियों से दूर कर उस बनती संवेदना को ध्वस्त कर देते हैं....
- अगर इसे ऐसे कहें के अंकुर की लक्ष्मी और सूरज का सातवाँ घोड़ा की वह स्त्री जो तांगे-घोड़े की नाल-नदी के इर्द गिर्द कठोर व्रत धारण करती है, इनमें समानता है के दोनों ही उस समाज में किसी के द्वारा बाँझ नहीं कहलाना चाहती और दोनों ही स्त्रियों के परपुरुष संसर्ग को मिथकीय नियोग मान दर्शक नैतिक बोझ से मुक्त हो सकता है.
- यदि हम अपने से पूछें कि हिन्दी में प्रेमचन्द के बाद कौन से उपन्यास श्रेष्ठ मानते हैं, जिन्हें हम साहित्य के इतिहास में सर्वोच्च स्थान दे सकते हैं, तो मेरे मत से, इन्हीं सात उपन्यासों, (सूरज का सातवाँ घोड़ा, धर्मवीर भारती ; मैला आँचल, फणीश्वर नाथ रेणु ; आधा गाँव, मासूम रजा राही ; राग दरबारी, श्रीलाल शुक्ल ; इदन्नमम, मैत्रेयि पुष्पा ; हमारा शहर उस बरस, गीतांजलि श्री ; और कलिकथा-वाया बाईपास, अलका सारावगी) की बात की जा सकती है।