हज़रत मोहम्मद साहब वाक्य
उच्चारण: [ hejeret mohemmed saaheb ]
उदाहरण वाक्य
- राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, ईसा मसीह, हज़रत मोहम्मद साहब, गुरूनानक जी, गीता, कुरान, बाइबिल, मंदिर, मस्ज़िद, गिरिजाघर, पंडित, मौलवी, पादरी, खतना, जनेऊ, क्रॉस, केश, कृपाण आदि के लिए मरने-मारने वालों की कोई कमी नहीं हैं।
- इस्लाम धर्म की नीव हज़रत मोहम्मद साहब ने रखी, इनका जन्म अरब के मक्का में हुआ था, इस्लाम धर्म इन्ही के सिद्धांतो पर आधारित है, बचपन से ही नेक, शांत, और ईमानदार इतने की लोग उनको धन देकर भूल जाया करते थे, आज भी लोग इस्लाम धर्म के समर्थक मक्का-मदीना इनकी राह में हज करने जरूर जाते है,
- यह एक दिव्य संदेश है मानवता के लिये, कि परमपिता के संदेश पृथ्वीवासियों तक चाहे अवतार पुरुष श्रीकृष्ण के माध्यम से भेजे जाएं, अथवा पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब के माध्यम से, उसके संदेश का सार एवं सिद्धांत एक ही होता है, मानव और मानवता का कल्याण, सदधर्म (वास्तविक धर्म) की स्थापना, तथा सनातन के वास्तविक स्वरूप की पुनर्स्थापना ।
- “ जिहाद ” का नाम लेकर बेगुनाह लोगो की हत्या कर रहे लोग शायद ये नही जानते की “ जिहाद ” का अर्थ हज़रत मोहम्मद साहब ने हर इन्सान के लिये अलग-अलग बताया है किसी सहाबी से कहा की “ अपने नफ्स (इन्द्रियों) से लडो, यही तुम्हारा ” जिहाद “ है, किसी सहाबी से कहा कि ” अपने वालिदेन की खिदमत करो, यही तुम्हारे लिये जिहाद है ” ।
- हर ज़ीशान (अहम) काम जो 'बिस्मिल्लाह' से शुरू न किया जाए, वह नातमाम (अधूरा) रहेगा और जिसने 'बिस्मिल्लाह' को एक बार पढ़ा, उसके गुनाहों में से एक ज़र्रा भर गुनाह बाक़ी नहीं रहता और फ़रमाया जब हज़रत मोहम्मद साहब का बयान हमारे नबी का नाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम है, जो पीर के दिन, सुबह सादिक़ के वक्त (12) बारह रबीउल अव्वल, बमुताबिक़ बीस(20) अप्रैल 571 ईसवी, मुल्क अरब के शहर मक्का शरीफ़ में पैदा हुए।