हुस्न और इश्क वाक्य
उच्चारण: [ husen aur ishek ]
उदाहरण वाक्य
- उनकी ग़ज़लों में हुस्न और इश्क की कशमकश, इश्क की बेबसी, हुस्न का अंदाज़े बयाँ, इंतज़ार का दर्द, हिज्र की कसक ही नहीं है ज़िन्दगी की तल्खियाँ और सच्चाइयाँ भी हैं, गिरते मूल्यों का दर्द भी है:
- ये दोनों अर्थात् हुस्न और इश्क एक दूसरे के बिना अधूरे हैं फिर भी इन दोनों में कभी टकराव होता है, कभी अनबन होती है, कभी चुहलबाजी होती है और अन्ततः दोनों सदा के लिए एक दूसरे के होकर रह जाते हैं।
- मेरे साथ ही चलना है तुझे कल्ब-ए-माहौल में लरज़ाँ शरर-ए-ज़ंग हैं आज हौसले वक़्त के और ज़ीस्त के यक रंग हैं आज आबगीनों में तपां वलवला-ए-संग हैं आज हुस्न और इश्क हम आवाज़ व हमआहंग हैं आज जिसमें जलता हूँ उसी आग में जलना है तुझे उठ मेरी जान!
- कल्ब-ए-माहौल में लरज़ाँ शरर-ए-ज़ंग हैं आज हौसले वक़्त के और ज़ीस्त के यक रंग हैं आज आबगीनों में तपां वलवला-ए-संग हैं आज हुस्न और इश्क हम आवाज़ व हमआहंग हैं आज जिसमें जलता हूँ उसी आग में जलना है तुझे उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे
- हिन्दी गज़ल यदि कहना ही है तो हिन्दी गज़ल अब वह विधा है, जिसमें हुस्न और इश्क की चाशनी भर नहीं है, बल्कि गज़ल वह हैं जिसमें हमारी तकलीफों, समस्याओं और जद्दोजेहद भरी जिन्दगी के समूचे फलसफे, वाकयात और हकीकतें तो शामिल ही हैं समूची कायनात का सौन्दर्य-खुशबू रंगे रवानगी और तासीरें यकसां हो गई हैं।
- ज़मीन पर लहू बहने लगा-इतना-कि कब्रें चूने लगीं और मुहब्बत की शहज़ादियां मज़ारों में रोने लगीं… सभी कैदों में नज़र आते हैं हुस्न और इश्क को चुराने वाले और वारिस कहां से लाएं हीर की दास्तान गाने वाले… तुम्हीं से कहती हूं-वारिस! उठो! कब्र में से बोलो और इश्क की कहानी का कोई नया वरक खोलो… उनकी आत्मकथा “रसीदी टिकट” उनकी कालजई रचनाओं में से एक है।
- हुस्न की समिधा पर इश्क के घृत की आहुति कब पूर्णाहूति बन पाई है फिर कहो, कब और कैसे मिलन को परिणति मिल पायेगी हुस्न-ओ-इश्क खुदाई फरमान और बेबसी के मकडजाल में जकड़े रूह के फंद से आज़ाद होने को तड़फते हैं इस जनम की उधार को अगले जनम में चुकायेंगे ऐसा वादा करते हैं प्रेम के सोमरस को अगले जनम की थाती बना हुस्न और इश्क ने विदा ले ली रूह के बंधनों से आज़ाद हो अगले जनम की प्रतीक्षा में मिलन को आतुर पंछी अनंत में विलीन हो गए