१५५५ वाक्य
उच्चारण: [ 1555 ]
उदाहरण वाक्य
- नास्त्रेदमस ने १५५५ में भविष्यवाणियों से संबंधित अपने पहले ग्रंथ सेंचुरी के प्रथम भाग का लेखन पूरा किया, जो सबसे पहले फ्रेंच और बाद मे अंग्रेजी, जर्मन, इतालवी, रोमन, ग्रीक भाषाओं मे प्रकाशित हुआ।
- अपने खोये हुए राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिये हुमायूँ के अनवरत प्रयत्न अंततः सफल हुये और वह सन् १५५५ में हिंदुस्तान पहुंच सका किंतु सन् १५५६ में राजधानी दिल्ली में उसकी मृत्यु हो गई।
- उसके देहावसान के लगभग ९ वर्ष पश्चात् वीरमदेव का जन्म हुआ जो दूदा का जेष्ठ पुत्र था जबकि मीरां का पिता रतनसिंह दूदा का चतुर्थ पुत्र था और मीरां का जन्म तो वि. सं. १५५५ में बताया जाता है।
- २२ जून, १५५५ के सरहिन्द युद्ध में अफगानों (सिकन्दर सूर) पर निर्णायक विजय प्राप्त कर हुमायूँ ने भारत के राजसिंहासन को प्राप्त किया तथा २३ जुलाई, १५५५ को भारत का सम्राट बना लेकिन १५५६ ई. में उसकी मृत्यु हो गई ।
- २२ जून, १५५५ के सरहिन्द युद्ध में अफगानों (सिकन्दर सूर) पर निर्णायक विजय प्राप्त कर हुमायूँ ने भारत के राजसिंहासन को प्राप्त किया तथा २३ जुलाई, १५५५ को भारत का सम्राट बना लेकिन १५५६ ई. में उसकी मृत्यु हो गई ।
- २२ जून, १५५५ के सरहिन्द युद्ध में अफगानों (सिकन्दर सूर) पर निर्णायक विजय प्राप्त कर हुमायूँ ने भारत के राजसिंहासन को प्राप्त किया तथा २३ जुलाई, १५५५ को भारत का सम्राट बना लेकिन १५५६ ई. में उसकी मृत्यु हो गई ।
- २२ जून, १५५५ के सरहिन्द युद्ध में अफगानों (सिकन्दर सूर) पर निर्णायक विजय प्राप्त कर हुमायूँ ने भारत के राजसिंहासन को प्राप्त किया तथा २३ जुलाई, १५५५ को भारत का सम्राट बना लेकिन १५५६ ई. में उसकी मृत्यु हो गई ।
- दुनिया के चार महान अविष्कार चीन के हिस्से में आते है-कागज, कम्पस, बारूद,और मुद्रण. माना जाता है...........चीन शब्द का सर्व प्रथम उपयोग १५५५ ई० में किया गया ये शब्द चिन से निकला जो मार्को पोलो द्वारा पश्चिम में प्रचारित किया गया.
- खोये हुए राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिये अकबर के पिता हुमायूँ के अनवरत प्रयत्न अंततः सफल हुए और वह सन् १५५५ में हिंदुस्तान पहुँच सका किंतु अगले ही वर्ष सन् १५५६ में राजधानी दिल्ली में उसकी मृत्यु हो गई और गुरदासपुर के कलनौर नामक स्थान पर १४ वर्ष की आयु में अकबर का राजतिलक हुआ।
- खोये हुए राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिये अकबर के पिता हुमायूँ के अनवरत प्रयत्न अंततः सफल हुए और वह सन् १५५५ में हिंदुस्तान पहुँच सका किंतु अगले ही वर्ष सन् १५५६ में राजधानी दिल्ली में उसकी मृत्यु हो गई और गुरदासपुर के कलनौर नामक स्थान पर १४ वर्ष की आयु में अकबर का राजतिलक हुआ।