अघासुर वाक्य
उच्चारण: [ aghaasur ]
उदाहरण वाक्य
- अघासुर का वध · अनन्त चतुर्दशी · अहोई अष्टमी · आरुणि उद्दालक की कथा · इंद्र का अहंकार · ऐतरेय की कथा · कच देवयानी · करवा चौथ · कार्तिक पूर्णिमा · कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा · कुबेर पुत्रों का उद्धार · गंगावतरण · गणेश जी की कथा · गोकर्ण · जांबवती · जड़भरत की कथा · जैसी संगति वैसा चरित्र · तिरूपति में विष्णु · द का अर्थ · दधीचि का अस्थि दान · धेनुकासुर वध · नचिकेता की
- इसी प्रकार रावण के साथी मारीच, खरदूषण और ताड़का का निपात यदि राम को लोकरक्षक बना सकता है तो कंस के साथी अघासुर, बकासुर और शकटासुर का निपात कृष्ण को लोकरक्षक क्यों नहीं बना सकता? सच बात तो यह है कि आचार्य शुक्ल में वीरपूजा का भाव इतना प्रबल है और वीरधर्म, राजधर्म और क्षात्राधर्म के प्रति इतनी गहरी आस्था है कि न केवल सगुण भक्ति काव्य बल्कि वीर गाथाओं के मूल्यांकन में भी इनकी भूमिका निर्णायक रही है।
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- अघासुर का वध · अनन्त चतुर्दशी · अहोई अष्टमी · आरुणि उद्दालक की कथा · इंद्र का अहंकार · ऐतरेय की कथा · कच देवयानी · करवा चौथ · कार्तिक पूर्णिमा · कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा · कुबेर पुत्रों का उद्धार · गंगावतरण · गणेश जी की कथा · गोकर्ण · जांबवती · जड़भरत की कथा · जैसी संगति वैसा चरित्र · तिरूपति में विष्णु · द का अर्थ · दधीचि का अस्थि दान · धेनुकासुर वध · नचिकेता की कहानी · नहुष · नारद
- श्रीकृष्णावतार विषयक प्रश्न, गोकुल की कथा, बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण द्वारा पूतना आदि का वध, कुमारावस्था में अघासुर आदि की हिंसा, किशोरावस्था में कंस का वध, मथुरापुरी की लीला, तदनन्तर युवावस्था में द्वारका की लीलायें समस्त दैत्यों का वध, भगवान के प्रथक प्रथक विवाह, द्वारका में रहकर योगीश्वरों के भी ईश्वर जगन्नाथ श्रीकृष्ण के द्वारा शत्रुओं के वध के द्वारा पृथ्वी का भार उतारा जाना, और अष्टावक्र जी का उपाख्यान ये सब बातें पांचवें अंश के अन्तर्गत हैं।
- अघासुर का वध · अनन्त चतुर्दशी · अहोई अष्टमी · आरुणि उद्दालक की कथा · इंद्र का अहंकार · ऐतरेय की कथा · कच देवयानी · करवा चौथ · कार्तिक पूर्णिमा · कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा · कुबेर पुत्रों का उद्धार · गंगावतरण · गणेश जी की कथा · गोकर्ण · जांबवती · जड़भरत की कथा · जैसी संगति वैसा चरित्र · तिरूपति में विष्णु · द का अर्थ · दधीचि का अस्थि दान · धेनुकासुर वध · नचिकेता की कहानी · नहुष · नारद मोह की कथा · परीक
- ब्रह्माजी का एक सिर घबरा गया घूमने लगा फ़िर कुछ समय बाद देखा पूतना का भाई आया बकासुर और फ़िर उसकी हत्या हो गई उसको मुक्ति मिल गई दूसरा सिर घूमने लगा फ़िर तीसरा भाई आया परिवार का तीसरा सदस्य अघासुर और उसने अपने मुख के अंदर सारे गोपों को हत्या करने का प्रयास किया फ़िर कृष्ण प्रवेश किये और पूरे विश्व पूरे जगत तैंतीस कोटि देवताओं के नेत्रों के समक्ष उनकी आत्मा सीधी भगवान कृष्ण के अंदर विलीन हो गई और ब्रह्माजी के बाकी दोनों सर घबरा गये ।
- ब्रह्माजी का एक सिर घबरा गया घूमने लगा फ़िर कुछ समय बाद देखा पूतना का भाई आया बकासुर और फ़िर उसकी हत्या हो गई उसको मुक्ति मिल गई दूसरा सिर घूमने लगा फ़िर तीसरा भाई आया परिवार का तीसरा सदस्य अघासुर और उसने अपने मुख के अंदर सारे गोपों को हत्या करने का प्रयास किया फ़िर कृष्ण प्रवेश किये और पूरे विश्व पूरे जगत तैंतीस कोटि देवताओं के नेत्रों के समक्ष उनकी आत्मा सीधी भगवान कृष्ण के अंदर विलीन हो गई और ब्रह्माजी के बाकी दोनों सर घबरा गये ।