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अभ्यंग वाक्य

उच्चारण: [ abheynega ]

उदाहरण वाक्य

  1. धर्मशास्त्र के निर्देशानुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में नित्यकर्म से निवृत्त होकर अभ्यंग स्नान अथवा तीर्थ, नदी, सरोवर में स्नान करके शुद्ध पवित्र होवे।
  2. त्वचा (चमड़ी) में जो पित्त रहता है, वह त्वचा में कांति (प्रभा)की उत्पत्ति करता है और शरीर की वाह्य त्वचा पर लगाये हुये लेप और अभ्यंग को पचाता (शोषण करता) है।
  3. यह स्नेह क्रिया शरीर पर बाह्य रूप से तेल आदि स्निग्ध पदार्थों का अभ्यंग (मालिश) करके भी की जाती है तथा इन पदार्थों का मुख द्वारा प्रयोग करके भी की जाती है।
  4. यह स्नेह क्रिया शरीर पर बाह्य रूप से तेल आदि स्निग्ध पदार्थों का अभ्यंग (मालिश) करके भी की जाती है तथा इन पदार्थों का मुख द्वारा प्रयोग करके भी की जाती है।
  5. यह स्नेह क्रिया शरीर पर बाह्य रूप से तेल आदि स्निग्ध पदार्थों का अभ्यंग (मालिश) करके भी की जाती है तथा इन पदार्थों का मुख द्वारा प्रयोग करके भी की जाती है।
  6. यह स्नेह क्रिया शरीर पर बाह्य रूप से तेल आदि स्निग्ध पदार्थों का अभ्यंग (मालिश) करके भी की जाती है तथा इन पदार्थों का मुख द्वारा प्रयोग करके भी की जाती है।
  7. भस्मार्ती के अलावा मंदिर में प्रात: 10 से 11 बजे तक नैवेद्य आरती, संध्या 5 से 6 बजे तक अभ्यंग शृंगार, संध्या 6 से 7 बजे तक सायं आरती होती है।
  8. प्राणेश्वर अभ्यंग सलिल की सुधा जाह्नवी में मधुकर, मज्जन कर उनके पद पंकज रज का कर चंदन निर्झर प्राण कलेवा के जूठन का कर ले महाप्रसाद ग्रहण टेर रहा है प्रीतिमधुमती मुरली तेरा मुरलीधर।।157।।
  9. आयुर्वेदिक गुण कर्म-लघु, स्निग्ध, तिक्त मधुर,, कटु, वीर्य-उष्ण कफ़वातशामक, वेदनास्थापन, व्रणरोपण, व्रण शोधन, केश्य, विषनाशक. प्रदररोगनाशक. प्रयोग-विभिन्न वात रोगों मे इससे सिद्ध तैल का प्रयोग बस्ति और अभ्यंग मे किया जाता है ।
  10. प्रात: काल सूर्योदय के समय तैलमर्दन के साथ स्नान (अभ्यंग स्नान), देव पितरों की पूजा, दही-दूध-घृत से पितरों का श्राद्ध तथा विविध व्यंजनों के साथ ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
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