अहिल्या बाई होलकर वाक्य
उच्चारण: [ ahileyaa baae holekr ]
उदाहरण वाक्य
- देवी अहिल्या बाई इंदौर के सारे शासकों में सबसे ज्यादा प्रसिद्द, सम्मानित तथा पूजनीय थीं, आज के आधुनिक इंदौर में भी देवी अहिल्याबाई की स्मृति स्वरुप यहाँ के अंतरराष्ट्रीय विमान तल का नाम देवी अहिल्या बाई होलकर इंटर्नेशनल एयरपोर्ट (DABHI) रखा गया है, तथा यहाँ के विश्वविद्यालय का नाम भी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) इंदौर है.
- हमने जिन पंडित जी से अभिषेक की बात की थी वे हमें स्पर्श अभिषेक के लिए पुरातन सोमनाथ मंदिर में लेकर गए जो की इंदौर की महारानी पुण्यश्लोका देवी अहिल्या बाई होलकर (जिनकी मैं अनन्य भक्त हूँ) के द्वारा निर्मित करवाया गया है, यह मंदिर सोमनाथ मंदिर परिसर में ही है तथा मुख्य सोमनाथ मंदिर के सामने ही स्थित है.
- अध्यापक होने के नाते मैं देखने गया देवी अहिल्या बाई होलकर विश्वविद्यालय कला विज्ञान वाणिज्य और प्रबन्धन संस्थान बक़ौल एक छात्र विश्वविद्यालय के भीतर ही क्रमश: इन्दौर दिल्ली बम्बई और पेरिस थे- मेरे दिमाग़ में एक पुराना पता था संवादनगर मुहल्ले का स्मृतियों को टटोलते मैं जा सकता था वहां हम सबके गुरू जी विष्णु चिंचालकर जो अब दुनिया में नहीं हैं
- इस मंदिर के शिल्प के विषय में एक रोचक कहानी है, महारानी अहिल्या बाई होलकर जिन्होंने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, उन्हें इस मंदिर के निर्माण के लिए अपनी पसंद का पत्थर प्राप्त करने में बड़ी कठिनाई हो रही थी, अंततः उन्हें अपने स्वप्न में उस पत्थर की जानकारी मिली तथा उन्हें आश्चर्य हुआ की जिस पत्थर के लिए परेशान हो रही थी वह परली नगर के समीप ही स्थित त्रिशाला देवी पर्वत पर उपलब्ध है.
- इस मंदिर के शिल्प के विषय में एक रोचक कहानी है, महारानी अहिल्या बाई होलकर जिन्होंने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, उन्हें इस मंदिर के निर्माण के लिए अपनी पसंद का पत्थर प्राप्त करने में बड़ी कठिनाई हो रही थी, अंततः उन्हें अपने स्वप्न में उस पत्थर की जानकारी मिली तथा उन्हें आश्चर्य हुआ की जिस पत्थर के लिए परेशान हो रही थी वह परली नगर के समीप ही स्थित त्रिशाला देवी पर्वत पर उपलब्ध है.
- मालवा की बात करें तो रूपमती-बाजबहादुर की प्रेमगाथा से पगे मांडू, महाकालेश्वर, राजा भर्तहरी, महर्षि सांदिपनी, कविवर डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन और मोक्षदायिनी सलिला शिप्रा की नगरी उज्जैन, लोकमाता अहिल्या बाई होलकर, अंतरराष्ट्रीय ख्याति के चित्रकार मक़बूल फ़िदा हुसैन और तान सम्राट उस्ताद अमीर ख़ा साहब के नगर इन्दौर के बाद सबसे ज़्यादा और शिद्दत से याद आते हैं देवास को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले सुरयोगी पं. कुमार गंधर्व याद आते हैं.