आत्मजयी वाक्य
उच्चारण: [ aatemjeyi ]
उदाहरण वाक्य
- ' जिन' किसी व्यक्ति-विशेष का नाम नहीं है, वरन जो लोग आत्म-विकारों पर विजय प्राप्त कर लेते हैं, जो अपनी इंद्रियों को वशीभूत कर लेते हैं, ऐसे आत्मजयी व्यक्ति 'जिन' कहलाते हैं।
- ' जन्म ' और ' मृत्यु ' का यह प्रश्न अलग ढंग से-नए प्रयोग के साथ-कुँवर नारायण की बहुचर्चित कृति ' आत्मजयी ' में देखा जा सकता है |
- उन्हीं कवियों से प्रेरणा ले कर हमारे यहां के आधुनिकतावादी कवि धर्मवीर भारती ने अंधायु्ग, कनुप्रिया, नरेश मेहता ने संशय की एक रात और कुंवरनारायण ने आत्मजयी जैसी रचनाएं लिखी थीं।
- यम से जीवन का वरदान पाकर लौटै नचिकेता में यदि आत्मजयी होने का भाव प्रबल है तो उसके प्रति अकारण कुपित हो कर निष्करुण होने का क्षोभ पिता वाजश्रवा में कम नहीं रहा है।
- आज से लगभग आधी सदी पहले मृत्यु की आंच को बेहद निकट से महसूस करने वाले कुंवर नारायण ने नचिकेता के प्रश्नाकुल मन के निथरे अंत: करण को आत्मजयी में व्यक्त किया था।
- जहाँ एक ओर आत्मजयी में कुँवरनारायण जी ने मृत्यु जैसे विषय का निर्वचन किया है, वहीं इसके ठीक विपरीत 'वाजश्रवा के बहाने'कृति में अपनी विधायक संवेदना के साथ जीवन के आलोक को रेखांकित किया है।
- जहाँ एक ओर आत्मजयी में कुँवरनारायण जी ने मृत्यु जैसे विषय का निर्वचन किया है, वहीं इसके ठीक विपरीत 'वाजश्रवा के बहाने'कृति में अपनी विधायक संवेदना के साथ जीवन के आलोक को रेखांकित किया है।
- कुंवर नारायण के ही शब्दों में, आत्मजयी में यदि मृत्यु की ओर से जीवन को देखा गया है तो वाजश्रवा के बहाने में जीवन की ओर से मृत्यु को देखने की एक कोशिश है।
- कुछ तो काव्य-वस्तु की समानता और कुछ उसमें सक्रिय काव्य-विवेक के कारण कुंवरजी की हालिया प्रकाशित लम्बी कविता, '' वाजश्रवा के बहाने '' उन्हीं के प्रबंध काव्य, '' आत्मजयी '' की याद दिलाती है।
- 4 इटली-वेनिस विश्वविद्यालय की डॉ 0 मारियोल्ला ऑफरेदी ने प्रेमचंद के ‘ गोदान ' तथा कुंवर नारायण की काव्यकृति ‘ आत्मजयी ' का तथा डॉ 0 चेचीलिया कोस्सियो ने फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यास ‘