आपस्तंब वाक्य
उच्चारण: [ aapestenb ]
उदाहरण वाक्य
- आपस्तंब में बताया गया है कि ब्राह्मण अपनी दाहिनी बांह को अपने कान के समानांतर, क्षत्रिय उसे अपनी छाती के स्तर तक, वैश्य अपनी कमर तक, और शूद्र उसे अपने पांव की सीध में रखकर अभिवादन करे।
- जैसे, आपस्तंब धमर्सूत्र (2.11.15), विष्णु धर्मसूत्र (24.9-10), वशिष्ठ धर्मसूत्र (8.1), बौधायन धर्मसूत्र (2.1.38) और गौतम धर्मसूत्र (4.2, 23.12) में इसका स्पष्ट निर्देश है।
- 3. ‘ गव्येन दत्तं श्राद्धे... ‘ को समझना आपके लिए इतना कठिन क्यों हो रहा है भाई? जबकि आपस्तंब धर्म सूत्र का उद्धरण उसके साथ बता रहा है कि श्राद्ध में किस किस पशु का मांस दिया जाता था।
- जैसे, आपस्तंब धर्मसूत्र [2.11.15], विष्णु धर्मसूत्र [24.9-10], वशिष्ठ धर्मसूत्र [8.1], बौधायन धर्मसूत्र [2.1.38] तथा गौतम धर्मसूत्र [4.2, 23.12] में इसका स्पष्ट निर्देश है।
- इस क्षेत्र में गौतम, बौधायन, आपस्तंब, वशिष्ट, मिताक्षरा, हारीत आदि आचार्यों का विशिष्ट योगदान रहा. धर्मसूत्रों के अलावा ‘ स्मृति ' और ‘ ब्राह्मण ' ग्रंथों के जरिये भी समाज एवं राजनीति को अनुशासित करने का काम किया.
- हमारे 6 वेदांग हैं-शिक्षा, कल्प,व्याकर ण, निरूक्त,छं द, ज्योतिष इसी तरह 6 दर्शनशास्त्र हैं-सांख् य, यो ग, वेदां त, मीमांसा, न्या य, वैशेषि क कुल 18 स्मृति ग्रंथ हैं जिनमें प्रमुख हैं मनुस्मृति याज्ञवल्क्य स्मृति पाराशर स्मृति आपस्तंब स्मृति हमारे उपनिषद की संख्या लगभग 108 है, जिनमें प्रमुख रूप से 11 माने गए हैं।
- हमारे ऋषियों की-वाल्मीकि, वशिष्ठ, अगस्त्य, अत्रि, गौतम, भारद्वाज, जैमिनी, व्यास, पराशर से लेकर छइवीं शती ईसापूर्व के आपस्तंब तथा बोधायन आदि की तथा ईसा की पाँचवी शती के आर्यभट्ट आदि की लंबी परंपरा रही है जिन्होंने अध्यात्म तथा विज्ञान या उनके शब्दों में कहें तो पराविद्या तथा अपराविद्या दोनों को सम्मान दिया।
- उदाहरणार्थ-गौतम ने विधवा को, आपस्तंब ने पुत्र को और शंख ने माता और सबसे बड़ी पत्नी को वारिसों के रूप में सम्मिलित किया, किन्तु वास्तविकता यह थी कि गौतम और अपस्तंब, जिन्होंने क्रमशः विधवा और पुत्री को वारिसों की सूची में सम्मिलित किया, उन्हें बहुत अधिक अन्यमनस्क होकर सम्मिलित किया और उससे कोई व्यवहारिक प्रयोजन सिद्ध नहीं हुआ।
- क्या आपने कभी किसी पंडित से पूछा है कि गायत्री मंत्र में ‘सन्मार्ग‘ की प्रेरणा हेतु जो प्रार्थना की जाती है तो वहां ‘सन्मार्ग‘ किस शब्द का अनुवाद है? 3. ‘गव्येन दत्तं श्राद्धे...‘ को समझना आपके लिए इतना कठिन क्यों हो रहा है भाई? जबकि आपस्तंब धर्म सूत्र का उद्धरण उसके साथ बता रहा है कि श्राद्ध में किस किस पशु का मांस दिया जाता था।
- यद्यपि वहां उनका सामान्य अर्थ दल अथवा वर्ग ही है. 2 इसी प्रकार कौषीतकिब्राह्मण उपनिषद् में पूग को रुद्र की उपमा दी गई है.3 आपस्तंब धर्मसूत्र में संघ को पारिभाषित करते हुए उसकी कार्यविधि और भविष्य को देखने हुए, अन्य संगठनों के संदर्भ में उसके अंतर को समझा जा सकता है.4 पाणिनीकाल तक संघ, व्रात, गण, पूग, निगम आदि नामों के विशिष्ट अर्थ ध्वनित होने लगे थे.