आशुतोष दुबे वाक्य
उच्चारण: [ aashutos dub ]
उदाहरण वाक्य
- (आशुतोष दुबे / जलाशय) डर, पृथ्वी के इर्द-गिर्द एक उपग्रह की तरह मंडराता है (आशुतोष दुबे / जलाशय) निरंजन श्रोत्रिय की कविताएं भी हमें जीवन में गहरी संवेदना और कोमलताओं के प्रति आस्थावान बनाती हैं.
- (आशुतोष दुबे / जलाशय) डर, पृथ्वी के इर्द-गिर्द एक उपग्रह की तरह मंडराता है (आशुतोष दुबे / जलाशय) निरंजन श्रोत्रिय की कविताएं भी हमें जीवन में गहरी संवेदना और कोमलताओं के प्रति आस्थावान बनाती हैं.
- इसका अंदाज़ा उस पोस्ट के बाद आये कमेंट्स से लग जाता था जिसमें कवि आशुतोष दुबे से लेकर आशीष त्रिपाठी सहित तमाम लोग इस सूचना पर अविश्वास से भरी टिप्पणियाँ करते हुए उस महानुभाव का नाम पूछ रहे थे.
- रचयिता: आशुतोष दुबे प्रस्तुति: अलबेला खत्री कवि सम्मेलन की महफ़िल में शोभा बढ़ा रही है आज सात समन्दर पार से सुधा ओम ढींगरा की कविता--मना ले मना ले घरौंदे से, बाहर सिर निकाल, कोई तो आवाज़ देकर उन्हें बुला लें.
- पिछले दिनों दोस्त आशुतोष दुबे ने कहा कि जगजीत साहब पर डॉक्यूमेंट्री बना रहे हैं, उनके शहर से हो इसलिए कुछ मदद करनी होगी, जाहिर है कि मेरी ओर से मना करने का कोई कारण नहीं था, आशुतोष जगजीत के कई एलबम के वीडियो के निर्देशक रहे है।
- हाल में प्रकाशित जिन कुछ युवा कवियों की कविता-पुस्तकों ने संयोग से मेरी अध्ययन मेज पर अपनी जगहें बना रखीं हैं उनमें अनीता वर्मा की रोशनी के रास्ते पर, नीलेश रघुवंशी की अंतिम पंक्ति में, निरंजन श्रोत्रिय की जुगलबंदी तथा आशुतोष दुबे की यक़ीन की आयतें शामिल हैं.
- पिछले दिनों दोस्त आशुतोष दुबे ने कहा कि जगजीत साहब पर डॉक्यूमेंट्री बना रहे हैं, उनके शहर से हो इसलिए कुछ मदद करनी होगी, जाहिर है कि मेरी ओर से मना करने का कोई कारण नहीं था, आशुतोष जगजीत के कई एलबम के वीडियो के निर्देशक रहे है।
- हाल में प्रकाशित जिन कुछ युवा कवियों की कविता-पुस्तकों ने संयोग से मेरी अध्ययन मेज पर अपनी जगहें बना रखीं हैं उनमें अनीता वर्मा की रोशनी के रास्ते पर, नीलेश रघुवंशी की अंतिम पंक्ति में, निरंजन श्रोत्रिय की जुगलबंदी तथा आशुतोष दुबे की यक़ीन की आयतें शामिल हैं.
- कार्यशाला के सफल आयोजन में कार्यशाला संयोजक डाॅ 0 मनोज कुमार, सहसंयोजक विशाल लाल गोस्वामी, लोकेन्द्र कुमार शर्मा, आशुतोष दुबे, विनय गुप्ता, रंजीत सिंह, फरहान अजिज, गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, विनीत कुमार, मोहन लाल सैनी, राजीव यादव आदि का विशेष सहयोग रहा।
- यह आरोप एक ओर तो नवें दशक के कुछ प्रमुख कवियों-कुमार अंबुज, लीलाधर मंडलोई, पंकज चतुर्वेदी, बद्रीनारायण, आशुतोष दुबे और एकांत श्रीवास्तव के सृजनात्मक गद्य के जरिये किये गये आलोचनात्मक हस्तक्षेप की उपेक्षा करता है, वहीं दूसरी ओर एक उत्कृष्ट कवि से उत्कृष्ट गद्य की भी अनावश्यक मांग करता है।