इंकलाब जिन्दाबाद वाक्य
उच्चारण: [ ineklaab jinedaabaad ]
उदाहरण वाक्य
- ८ फरवरी १ ९ २ ९ को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने जनरल असेम्बली में बम फेंका इंकलाब जिन्दाबाद के नारे लगाने लगे और असेम्बली में पर्चे फेंकने लगे, उसके बाद इन्होनें स्वयं को गिरफ्तार कराकर अपनी योजना के पहले चरण को अंजाम दिया।
- रैली के दौरान वंदेमातरम्, इंकलाब जिन्दाबाद, शहीद अमर रहे, हिन्दुस्तान जिंदाबाद, भारत माता की जय, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, जरा याद उन्हें भी कर लो के देशभक्ति के तरानों ने माहौल को राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कर दिया।
- अपना सुख, चैन, ऐशोआराम आदि सबकुछ भुलाकर क्रूर अंग्रेजों की असहनीय यातनायें झेंलीं और हंसते-हंसते ‘ भारत माता की जय ', ‘ वन्दे मातरम् ' और ‘ इंकलाब जिन्दाबाद ' के गगनभेदी अनहद नारों की गूँज करते हुए फाँसी के फंदे को गले लगा लिया।
- 25 अगस्त को रात आठ बजे से अपने समर्थकों को संबोधित नहीं करने वाले हजारे आज सुबह करीब 10 बजे समर्थकों की ओर से ' भारत माता की जय ', ' वंदे मातरम ' और ' इंकलाब जिन्दाबाद ' की जोरदार नारेबाजी के बीच मंच पर आए।
- इंकलाब जिन्दाबाद! जिन्दाबाद इंकलाब! वतन के नाम पर खुशी से जो हुए हैं बे-वतन उन्हीं की आह बे-असर, उन्हीं की लाख बे-कफन लहू पसीना बेचकर जो पेट तक न भर सके करें तो क्या करें भले न जी सकें, न मर सकें सियाह जिंदगी के नाम उनकी हर सुबह ओ शाम उनके आसमां को सुर्ख आफताब चाहिए!
- इंकलाब जिन्दाबाद! जिन्दाबाद इंकलाब! यकीन आँख मूंद कर किया था जिन पर जान कर वही हमारी राह में खड़े हैं सीना तान कर उन्हीं सरहदों में कैद हैं हमारी बोलियां वही हमारे थाल में परस रहे हैं गोलियां जो इनका भेद खोल दे हरेक बाल बोल दे हमारे हाथ में वही खुली किताब चाहिए! घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए! जवाब दर सवाल है कि इंकलाब चाहिए!
- यकीन आँख मूँद कर किया था जिनको जानकर वही हमारी राह में खड़े हैं सीना तान कर उन्ही की सरहदों में कैद हैं हमारी बोलियाँ वही हमारी थाल में परस रहे हैं गोलियाँ जो इनका भेद खोल दे हर एक बात बोल दे हमारे हाथ में वही खुली किताब चाहिए घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए जवाब दर सवाल है के इंकलाब चाहिए इंकलाब जिन्दाबाद, जिन्दाबाद इंकलाब
- वतन के नाम पर खुशी से जो हुए हैं बेवतन उन्ही की आह बेअसर उन्ही की लाश बेकफान लहू पसीना बेचकर जो पेट तक न भर सके करे तो क्या करें भला जो जी सके न मर सके स्याह ज़िंदगी के नाम जिनकी हर सुबह और शाम उनके आसमान को सुर्ख आफ़ताब चाहिए घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए जवाब दर सवाल है के इंकलाब चाहिए इंकलाब जिन्दाबाद, जिन्दाबाद इंकलाब-2
- तसल्लियों के इतने साल बाद अपने हाल पर निगाह डाल सोच और सोचकर सवाल कर किधर गए वो वायदे सुखों के ख्वाब क्या हुए तुझे था जिनका इंतज़ार वो जवाब क्या हुए तू इनकी झूठी बात पर ना और ऐतबार कर की तुझको साँस साँस का सही हिसाब चाहिए घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए नफ़स-नफ़स कदम-कदम बस एक फिक्र दम ब दम जवाब दर सवाल है के इंकलाब चाहिए इंकलाब जिन्दाबाद, जिन्दाबाद इंकलाब-२