इतिहासलेखन वाक्य
उच्चारण: [ itihaaselekhen ]
उदाहरण वाक्य
- इसलिए आश्चर्य नहीं कि अपने को मार्क्सवादी कहने और कहलाने वाले भगवान सिंह मार्क्सवादी इतिहासलेखन को साम्राज्यवादी इतिहासलेखन की धारा के अंतर्गत रखते हैं और रामशरण शर्मा, इरफान हबीब और रोमिला थापर जैसे इतिहासकारों को साम्राज्यवादी इतिहासलेखन का प्रतिनिधि मानते हैं।
- इसलिए आश्चर्य नहीं कि अपने को मार्क्सवादी कहने और कहलाने वाले भगवान सिंह मार्क्सवादी इतिहासलेखन को साम्राज्यवादी इतिहासलेखन की धारा के अंतर्गत रखते हैं और रामशरण शर्मा, इरफान हबीब और रोमिला थापर जैसे इतिहासकारों को साम्राज्यवादी इतिहासलेखन का प्रतिनिधि मानते हैं।
- बिहार में साम्प्रदायिकता, राष्ट्रवाद, साहित्य और जातिवाद हिन्दी प्रदेश के इतिहासलेखन की एक बडी समस्या यह है कि इसे समाज के इतिहास को इसके अपने साहित्य और इस भाषा के स्रोतों की सहायता से कम और इतिहासलेखन के पाश्चात्य अकादमिक मानदंडों के आधार पर अधिक लिखा गया है.
- बिहार में साम्प्रदायिकता, राष्ट्रवाद, साहित्य और जातिवाद हिन्दी प्रदेश के इतिहासलेखन की एक बडी समस्या यह है कि इसे समाज के इतिहास को इसके अपने साहित्य और इस भाषा के स्रोतों की सहायता से कम और इतिहासलेखन के पाश्चात्य अकादमिक मानदंडों के आधार पर अधिक लिखा गया है.
- बस्तर के इतिहासलेखन की जहाँ तक बात है, मेरी जानकारी में स् व. गनपत लाल साव ' बिलासपुरी ' और जगदलपुर (बस्तर, छ.ग.) निवासी शिक्षाविद् एवं इतिहासकार डॉ. के. के. झा तथा श्री रोहिणी कुमार झा के भी नाम इस सन्दर्भ में लिये जाते हैं।
- जाति के बारे में ‘ मार्क्सवादी ' इतिहासलेखन पर हमेशा लिखी जानेवाली बातों के अलावा, इस पूरे पेपर से गैर-मार्क्सवादी (इसे भारतीय संदर्भ में जाने-पहचाने शब्दों जातिवादी और ब्राह्मणवादी होने से अलगाने वाली रेखा बहुत बारीक है) आंदोलनों, सिद्धांत और विचारों के खिलाफ गहरे पूर्वाग्रह की बू आ रही थी.
- आधुनिक वस्तुवादी वैज्ञानिक चेतना का विकास, औपनिवेषिक इतिहासलेखन बरक्स राष्ट्रªवादी इतिहासलेखन, पौर्वात्यवाद, राष्ट्रªीय आन्दोलन, नए हिन्दीभाषी मध्य वर्ग की संास्कृतिक राजनीतिक जरूरतें और उर्दूभाषी भद्रवर्ग के साथ उसकी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा-इस समग्र ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में न रखने से आचार्य शुक्ल की इतिहासदृष्टि के मूल्यांकन में अन्याय होता आया है।
- आधुनिक वस्तुवादी वैज्ञानिक चेतना का विकास, औपनिवेषिक इतिहासलेखन बरक्स राष्ट्रªवादी इतिहासलेखन, पौर्वात्यवाद, राष्ट्रªीय आन्दोलन, नए हिन्दीभाषी मध्य वर्ग की संास्कृतिक राजनीतिक जरूरतें और उर्दूभाषी भद्रवर्ग के साथ उसकी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा-इस समग्र ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में न रखने से आचार्य शुक्ल की इतिहासदृष्टि के मूल्यांकन में अन्याय होता आया है।
- आधुनिक यूरोप का इतिहास ' नवजागरण ' से शुरू होता है, तो हमें भी अपना आधुनिक इतिहास ' नवजागरण ' से शुरू करना होगा-बांग्ला नवजागरण, मराठी नवजागरण, हिंदी नवजागरण, आदि. हर प्रदेश में ' नवजागरण ' ' खोजा ' जाने लगा. मेरी दृष्टि में इतिहासलेखन का यह नजरिया ही गलत है.
- पर सवाल यह है कि क्या अमीर खुसरो की कृतियों मे सांप्रदायिकता की बू नहीं आती? क्या औरंगजेब मस्जिदें नहीं तुड़वाता था? शिवप्रसाद सितारेहिंद के इतिहासलेखन का हवाला देते हुए वैभव लिखते हैं कि ' अकबर जैसे सहिष्णु और उदार व्यक्ति की प्रशंसा से समन्वयवादी दृष्टि नहीं, बल्कि इतिहास की सांप्रदायिक दृष्टि ही मजबूत होती है।