उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन वाक्य
उच्चारण: [ utetraakhend raajey aanedolen ]
उदाहरण वाक्य
- 9 नवम्बर 1994 को मंच ने उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौरान घायल आन्दोलनकारियों के इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल तथा चंड़ीगढ़ में 15 पन्द्रह हजार रूपये का आर्थिक सहयोग दिया।
- एक सितंबर 1994 को को उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन का काला दिन माना जाता है,, क्योंकि इस दिन की जैसी पुलिस बर्बरता की कार्यवाही इससे पहले कहीं और देखने को नहीं मिली थी।
- खटीमा गोलीकाण्ड १ सितंबर, १ ९९ ४ को उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन का काला दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन की जैसी पुलिस बर्बरता की कार्यवाही इससे पहले कहीं और देखने को नहीं मिली थी।
- उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन को आगे बढाने का काम UKD ने ही किया था लेकिन अब ऐसा लगता है कि जनहित के मुद्दों से हाथ खींच कर उक्रांद के नेता निजीहितों को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं.
- यह गाना उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के सन्दर्भ में लिखा गया था, इसमें जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने का सन्देश समाहित है साथ ही यह लक्ष्यप्राप्ति के लिये एकजुट होकर आगे बढने की प्रेरणा भी देता है।
- इसी जनक्रान्ति धारा के प्रवाह और पुष्ट विचार के साथ वे पृथक उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के अग्रणी सेनानियों के बीच खड़े हो गये और समूचे पहाड़ को दिल्ली सरकार से अपने स्वाभिमान और हक-हकूक के लिए आर-पार खड़ा कर दिया।
- कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-27 अगस्त 2009-दिल्ली से यात्रा का शुभारंभ 28 अगस्त 2009-रुद्रपुर, हल्द्वानी, अल्मोड़ा तथा द्वाराहाट आदि में जनजागरण अभियान 29 अगस्त 2009-द्वाराहाट से गैरसैंण तक रैली 30 अगस्त 2009-उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के अग्रणी नेता स्व.
- 27 अगस्त 2009-दिल्ली से यात्रा का शुभारंभ 28 अगस्त 2009-रुद्रपुर, हल्द्वानी, अल्मोड़ा तथा द्वाराहाट आदि में जनजागरण अभियान 29 अगस्त 2009-द्वाराहाट से गैरसैंण तक रैली 30 अगस्त 2009-उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के अग्रणी नेता स् व.
- उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन सहित अन्य सभी महत्वपूर्ण जनान्दोलनों का नेतृत्व कर चुके इन वक्ताओं ने “क्रिएटिव उत्तराखण्ड” के सदस्यों को गैरसैंण राजधानी के संघर्ष में विश्व के विभिन्न हिस्सों में रह रहे प्रवासी उत्तराखण्डियों का समर्थन इन्टरनेट के माध्यम से जुटाने का सुझाव भी दिया।
- जब उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौरेान देहरादून, नैनीताल की सड़कों पर रैलियां, प्रदर्शन होते थे तो एक वर्ग किनारे अपनी दुकानों तथा गाड़ियों में बैठकर कहता था कि इन्हें अभी उत्तराखण्ड दे दो, लोग आन्दोलनकारियों पर हंसते थे और उनका उपहास उड़ाया जाता था।