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औंढा वाक्य

उच्चारण: [ aunedhaa ]

उदाहरण वाक्य

  1. कारण यह है की स्तोत्र (श्लोक) में इन ज्योतिर्लिंगों की भौगोलिक स्थिति अस्पष्ट है अतः लोग अपने अपने तरीके से व्याख्या करते हैं तथा अर्थ निकालते हैं, स्थान निर्धारण में सबसे ज्यादा विवादित दो ज्योतिर्लिंग हैं, एक है नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जिसके बारे में कुछ लोगों का मत है की यह गुजरात स्थित द्वारका के समीप है वहीँ अन्य लोगों का मत है की यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के औंढा नमक गाँव में स्थित श्री नागनाथ मंदिर में है.
  2. कारण यह है की स्तोत्र (श्लोक) में इन ज्योतिर्लिंगों की भौगोलिक स्थिति अस्पष्ट है अतः लोग अपने अपने तरीके से व्याख्या करते हैं तथा अर्थ निकालते हैं, स्थान निर्धारण में सबसे ज्यादा विवादित दो ज्योतिर्लिंग हैं, एक है नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जिसके बारे में कुछ लोगों का मत है की यह गुजरात स्थित द्वारका के समीप है वहीँ अन्य लोगों का मत है की यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के औंढा नमक गाँव में स्थित श्री नागनाथ मंदिर में है.
  3. श्री औंढा नागनाथ-एक परिचय: औंढा नागनाथ, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित हिंगोली जिले के औंढा नामक तालुके (तहसील) में स्थित है, तथा यहाँ पर एक अति प्राचीन तथा सुन्दर मंदिर में भगवान भोलेनाथ के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक (सन्दर्भ-द्वादश्ज्योतिर्लिन्ग्स्तोत्रं, कोटिरुद्रसंहिता, श्री शिव महापुराण अध्याय २ ९) आठवें क्रम के ज्योतिर्लिंग ” नागेशं दारुकावने ” स्थित हैं, और इसी वजह से इस स्थान का महात्म्य प्राचीन धर्म ग्रंथों तथा पुराणों में भी मिलता है.
  4. श्री औंढा नागनाथ-एक परिचय: औंढा नागनाथ, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित हिंगोली जिले के औंढा नामक तालुके (तहसील) में स्थित है, तथा यहाँ पर एक अति प्राचीन तथा सुन्दर मंदिर में भगवान भोलेनाथ के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक (सन्दर्भ-द्वादश्ज्योतिर्लिन्ग्स्तोत्रं, कोटिरुद्रसंहिता, श्री शिव महापुराण अध्याय २ ९) आठवें क्रम के ज्योतिर्लिंग ” नागेशं दारुकावने ” स्थित हैं, और इसी वजह से इस स्थान का महात्म्य प्राचीन धर्म ग्रंथों तथा पुराणों में भी मिलता है.
  5. श्री औंढा नागनाथ-एक परिचय: औंढा नागनाथ, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित हिंगोली जिले के औंढा नामक तालुके (तहसील) में स्थित है, तथा यहाँ पर एक अति प्राचीन तथा सुन्दर मंदिर में भगवान भोलेनाथ के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक (सन्दर्भ-द्वादश्ज्योतिर्लिन्ग्स्तोत्रं, कोटिरुद्रसंहिता, श्री शिव महापुराण अध्याय २ ९) आठवें क्रम के ज्योतिर्लिंग ” नागेशं दारुकावने ” स्थित हैं, और इसी वजह से इस स्थान का महात्म्य प्राचीन धर्म ग्रंथों तथा पुराणों में भी मिलता है.
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