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कंठमाला वाक्य

उच्चारण: [ kenthemaalaa ]

उदाहरण वाक्य

  1. इस) कंठमाला कहा जाता है एक पेरिटोंसिलर विद्रधि (या शायद ही कभी, संक्रमण) सिंड्रोम हो सकता है लेमिएर्रे (संक्रमण फैल परे सैप्टिसीमिया फैल टोंसिल्स जिसके परिणामस्वरूप एक को जन्म देने में सूजन और संक्रमण के आंतरिक कंठ का शिरा.
  2. जिन लोगों ने यूरोप में आलू की खेती को हर तरफ फैलाया, उन्हें यह नहीं पता था कि वे जमीन के भीतर उगनेवाली इस सब्जी के साथ-साथ टीबी जैसा कंठमाला (scrofula) का रोग भी फैला रहे हैं।
  3. भारतवर्ष में तांत्रिक लोग थाली को घड़े पर रखकर एक विशेष गति से बजाते हैं और बाजे से सर्प, बिच्छू आदि जहरीले जानवरों के काटे हुए, कंठमाला, विषवेल, भूतोन्माद आदि के रोगी बहुत करके अच्छे हो जाते हैं।
  4. जिस प्रकार प्रेम तथा भक्तिरहित कीर्तन, वाघरहित संगीत, यज्ञोपवीतरहित ब्राहृमण, व्यावहारिक ज्ञानरहित कलाकार, पश्चातापरहित तीर्थयात्रा और कंठमाला (मंगलसूत्र) रहित अलंकार, उत्तम प्रतीत नहीं होते, उसी प्रकार संतानरहित गृहस्थ का घर भी सूना ही रहता है ।
  5. डाक्टरों ने खोज करके बताया है, निमोनियां, लकवा, रिडेरपेस्ट, शीतला, चेचक, कंठमाला, क्ष्य (तपेदिक) और अदीठ आदि विषैला फोड़ा इत्यादि भयंकर और प्राणनाशक रोग प्रायः गाय, बकरी और जलजन्तुओं का मांस खाने से होते हैं ।
  6. मिट्टी के तेल की थोड़ी सी बूंदे बताशे में डालकर छोटे बच्चे को 2 बूंद, 8 से 12 साल तक के बच्चे को 3 बूंदे और 12 साल से ज्यादा के बच्चे को खिलाने से कुछ ही दिनों में कंठमाला (गले की गांठे) समाप्त हो जाती है।
  7. इसके साथ ही रोगी की छाती पर दबाव पड़ने के साथ ही कंपन सा महसूस होता है, कंठनाल विभाजित होने वाले स्थान के आसपास के भाग में दर्द होना, कंठमाला ग्रस्त (गले में गांठें) रोगियों को परेशान करने वाला दमा आदि लक्षणों में रोगी को स्क्रौफ्युलैरिया नोडोसा औषधि का सेवन कराना उपयोगी साबित होता है।
  8. दस्त, संग्रहणी (पेचिश), गर्भवती का वमन, बच्चों के दांत निकलते समय का दस्त, कब्ज, समज्वर, रक्तहीनता (एनीमिया), बहुमूत्र, प्रदर (ल्यूकोरिया), हैजा, मस्तिष्क की गर्मी, नपुंसकता, कुकर खांसी, फोड़ा, कंठमाला, रतौंधी, बहरापन, वायु गोला आदि का सफल चिकित्सक हैं।
  9. इससे शरीर के खून में लाल कणों की वृद्धि होती है तथा इसके साथ ही इसके सेवन से कई प्रकार के रक्त चाप, फोड़ा, गुर्दे के रोग जैसे पेशाब बूंद-बूंद आना, पेशाब कम होना, पेशाब में सफेद पदार्थ आना, सांस की नली में सूजन, कैंसर, मोतियाबिन्द, सर्दी, जुकाम, कंठमाला (घेंघा रोग) और बवासीर आदि रोग भी दूर हो जाते हैं।
  10. आंखों से सम्बंधित लक्षण: आंखों की पुतलियों का फैल जाना, आंखों में से हर समय आंसू से निकलते रहना, रोशनी में आते ही आंखों का बन्द हो जाना, आंखों से धुंधला सा दिखाई देना, आंखों में जख्म सा होना, पलकों में सूजन आना, आंखों के सफेद भाग मे कंठमाला धातु के कारण जलन होना जिसमे पीब भरे दाने हो जाते है आदि लक्षणों में रोगी को कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि का सेवन कराने से लाभ होता है।
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