कठगुलाब वाक्य
उच्चारण: [ kethegaulaab ]
उदाहरण वाक्य
- ‘ कठगुलाब ' उपन्यास ऐसी ही अनेक औरतों की जिंदगी का जायजा लेता हुआ जीवन के वे तमाम संगत-असंगत तत्त्व खोज लेता है, जो कभी व्यक्ति से जोड़कर और कभी तोड़कर एक सतत गतिशील समाज को जन्म देते हैं।
- स्त्री को केन्द्र में रखकर लिखी ऊषा प्रियम्वदा की “ रुकोगी नहीं राधिका ”, नासिरा शर्मा की “ शाल्मली ”, मृदुला गर्ग की “ कठगुलाब ”, इन्द्र बसावड़ा की “ शोभा ”, “ घर की राह ” किसी क्रान्ति से कम नहीं हैं।
- : उपन्यास-उसके हिस्से की धूप, वंशज, चित्तकोबरा, अनित्य, मैं और मैं, कठगुलाब कहानी संग्रह-कितनी कैदें, टुकडा टुकडा आदमी, डैफोडिल जल रहे हैं, ग्लैसियर से, उर्फ सैम, शहर के नाम, समागम नाटक-एक और अजनबी, जादू का कालीन, तीन कैदें निबंध संग्रह-रंग ढंग और चुकते नहीं सवाल
- उन्हें हिंदी अकादमी द्वारा १९८८ में साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, २००३ में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, २००४ में कठगुलाब के लिए व्यास सम्मान तथा २००३ में कठगुलाब के लिए ही ज्ञानपीठ का वाग्देवी पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- उन्हें हिंदी अकादमी द्वारा १९८८ में साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, २००३ में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, २००४ में कठगुलाब के लिए व्यास सम्मान तथा २००३ में कठगुलाब के लिए ही ज्ञानपीठ का वाग्देवी पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- उन्हें हिंदी अकादमी द्वारा १९८८ में साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, २००३ में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, २००४ में कठगुलाब के लिए व्यास सम्मान तथा २००३ में कठगुलाब के लिए ही ज्ञानपीठ का वाग्देवी पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- उन्हें हिंदी अकादमी द्वारा १९८८ में साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, २००३ में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, २००४ में कठगुलाब के लिए व्यास सम्मान तथा २००३ में कठगुलाब के लिए ही ज्ञानपीठ का वाग्देवी पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- उन्हें हिंदी अकादमी द्वारा १ ९ ८८ में साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, २ ०० ३ में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, २ ०० ४ में कठगुलाब के लिए व्यास सम्मान तथा २ ०० ३ में कठगुलाब के लिए ही ज्ञानपीठ का वाग्देवी पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- उन्हें हिंदी अकादमी द्वारा १ ९ ८८ में साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, २ ०० ३ में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, २ ०० ४ में कठगुलाब के लिए व्यास सम्मान तथा २ ०० ३ में कठगुलाब के लिए ही ज्ञानपीठ का वाग्देवी पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- मृदुला जी ने ' उसके हिस्से की धूप ', ' वंशज ', ' चितकोबरा ', ' अनित्या ', ' मैं और मैं ' और ' कठगुलाब ' जैसे उपन्यास लिखे तो ' कितनी कैदें ', ' टुकड़ा टुकड़ा आदमी ', ' डैफोडिल जल रहे हैं ', ' ग्लेशियर से ', ' शहर के नाम ' जैसे कविता संग्रह भी।