कुन्दकुन्द वाक्य
उच्चारण: [ kunedkuned ]
उदाहरण वाक्य
- आचार्य कुन्दकुन्द के शास्त्र को आचार्य कुन्दकुन्द की मनोभूमिका में उत्तर कर ही अच्छी तरह समझा जा सकता है।
- जोइन्दु ने भी कुन्दकुन्द की तरह दोनों ही दृष्टियाँ विशेषरूप से अपनायी हैं-देहा-देवलि देउ जिणु जणु देवलिहिं णिएह।
- उनके पूर्ववर्ती आचार्य कुन्दकुन्द ने सप्तभंगों के नाम तो दिये हैं परन्तु स्याद्वाद की उन्होंने कोई परिभाषा अंकित नहीं की।
- कुन्दकुन्द का समय-नन्दिसंघ की पट्टवली में लिखा है कि कुन्दकुन्द वि. सं. ४९ में आचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुए।
- कुन्दकुन्द का समय-नन्दिसंघ की पट्टवली में लिखा है कि कुन्दकुन्द वि. सं. ४९ में आचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुए।
- “क्रोध की उत्पत्ति के बाह्य कारण होने पर भी क्रोध का ना होना ही क्षमा धर्म है।”-आचार्य कुन्दकुन्द जी
- कुन्दकुन्द ने कर्मविमुक्त आत्मा को परमात्मा बतलाते हुए उसे ज्ञानी, परमेष्ठी, सर्वज्ञ, विष्णु, चतुर्मुख और बुद्ध कहा है।
- मंगलं कुन्दकुन्दाद्यो जैनधर्मोस्तु मंगलं ॥ जिस प्रकार भगवान महावीर, गौतम गणधर और जैनधर्म मंगलरूप हैं, उसी प्रकार कुन्दकुन्द आचार्य भी।
- ३. कुन्दकुन्द के समयसार के टीकाकार जयसेन ने १२वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में समयसार टीका में परमात्मप्रकाश का एक दोहा उद्धृत किया है।
- आचार्य कुन्दकुन्द के पश्चात् गत दो हजार वर्षों के इतिहास में मात्र 13 वर्ष की उम्र में जैन संन्यास धारण करनेवाले प्रथम योगी