कुबेरनाथ राय वाक्य
उच्चारण: [ kuberenaath raay ]
उदाहरण वाक्य
- इसका विशिष्ट उत्थान माखनलाल चतुर्वेदी, रायकृष्णदास, शांतिप्रिय द्विवेदी, आदि के हाथों हुआ और पूर्णता मिली डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ. विद्यानिवास मिश्र और डॉ. कुबेरनाथ राय से ।
- जिस जनपद की पवित्र मिट्टी में राही मासूम रजा, कुबेरनाथ राय,विवेकी राय,उमाशंकर तिवारी और अमरनाथ श्रीवास्तव जैसे नामचीन लेखक और कवि पैदा हुए,उसी मिट्टी में जन्में हैं हिन्दी के सुपरिचित गज़लकार भाई संजय मासूम
- |इस शहर की पहचान कुबेरनाथ राय जैसे सुप्रसिद्ध ललित निबन्धकार राही मासूम रज़ा जैसे उपन्यासकार और पटकथा लेखक, विवेकी राय जैसे आंचलिक उपन्यासकार,उमाशंकर तिवारी और अमरनाथ श्रीवास्तव जैसे नवगीतकारों के नाते भी जाना और पहचाना जाता है
- इस दृष्टिकोण से असमीया समाज और संस्कृति के संबंध में कुबेरनाथ राय के अध्ययन रोचक हैं क्योंकि उन्हें पूर्वोत्तर भारत के योगदान को समझने के लिए आर्य की बनिस्बत नव्य आर्य नामक कोटि का निर्माण करना पड़ा.
- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपरांत विद् यानिवास मिश्र, कुबेरनाथ राय, शिव प्रसाद सिंह, प्रभाकर माचवे, विवेकी राय, रामदरश मिश्र, कृष् ण बिहारी मिश्र और ठाकुर प्रसाद सिंह आदि ने ललित निबंधों को नई दिशा प्रदान की हैं।
- कुबेरनाथ राय ने लिखा है, जैसे ' टिण्टर्न ऐबी ' और ' इम्मॉर्टलिटी ओड ' को पढ़कर वर्ड्सवर्थ को या ' राम की शक्तिपूजा ', ' बादल राग ' और ' वनवेला ' को पढ़ कर निराला को पहचाना जा सकता है …
- -विवेक सत्य मित्रम् स्मृतिशेषः स्वर्गीय कुबेरनाथ राय कहां है वीथिका जमदग्नि की शत अश्वमेधों की यही धरती जहां से चक्रमण करती हुई गंगा पुनः उत्तर को चलती है मगर थोड़ी-सी सांस लेती है जहां ' धनुर्वेद का मर्मज्ञ' फरसा हाथ लेकर काल-गति से दौड़ता है।
- -विवेक सत्य मित्रम् स्मृति शेषः स्वर्गीय कुबेरनाथ राय कहां है वीथिका जमदग्नि की शत अश्वमेधों की यही धरती जहां से चक्रमण करती हुई गंगा पुनः उत्तर को चलती है मगर थोड़ी-सी सांस लेती है जहां ' धनुर्वेद का मर्मज्ञ' फरसा हाथ लेकर काल-गति से दौड़ता है।
- हिन्दी में ऐसे निबन्धों के पुरोधाओं में हजारी प्रसाद द्विवेदी, प्रभाकर माचवे, विद्यानिवास मिश्र, कुबेरनाथ राय आदि गिनाये जाते हैं, किन्तु लालित्य और शैली की प्रभाविता के साथ-साथ परिमाण की विपुलता को भी यदि कसौटी माना जाए तो विद्यानिवास मिश्र जी इस पंक्ति में निर्विवाद रूप से अग्रणी ठहरते हैं।
- संपूर्ण जगत्-जाल पर ललित निबंधों का एक मात्र संग्रह स्थल है-http: //jayprakashmanas.info, यहाँ हिन्दी के सभी महत्वपूर्ण ललित निबंधकारों यथा-हजारी प्रसाद द्विवेदी, विद्यानिवास मिश्र, कुबेरनाथ राय, पद्मश्री रमेशचंद्र शाह, डॉ. श्रीराम परिहार, डॉ. श्यामसुंदर दुबे, रमेश दत्त दुबे, श्रीकृष्णकुमार त्रिवेदी, डा.