कुल्थी वाक्य
उच्चारण: [ kulethi ]
उदाहरण वाक्य
- दूध या दूध की बनी किसी भी चीज के साथ दही, नमक, इमली, खरबूजा, बेल, नारियल, मूली, तोरई, तिल, तेल, कुल्थी, सत्तू, खटाई, नहीं खानी चाहिए।
- घिया लौकी, तोरई, टिण्डा, कद्दू, मूली, मूंग की दाल, अरहर तथा कुल्थी की दाल, दूध, संतरा, पपीता, अनार, तरबूज का अधिक सेवन दवा लेने के समय हितकर रहता है।
- मौसम की स्थिति के मुताबिक कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि खरीफ फसल संबंधी आच्छादन जहाँ अभी तक नहीं हुआ है, वहाँ सितम्बर माह में ही जमीन की स्थिति के अनुसार तोरिया एवं कुल्थी की बुआई की जाये।
- सुबह फुली हुई कुल्थी को उसी पानी के साथ धीमी आग पर लगभग 4 घंटे तक पकाएं और जब 1 लीटर पानी रह जाए तो उतारकर इसमें 50 ग्राम देशी घी, सेंधानमक, कालीमिर्च, जीरा व हल्दी का छोंका लगाएं।
- दालों में मूंग, मसूर (दोनों हलसुरि और खेतसुरि किस्में), मटर, कल्यों, मास या उड़द, गहत या कुल्थी इत्यादि और तिलहनों में तिल, सरसों, राई, अलसी तथा अन्य तेल देने वाले फलों जैसे आडू, खुमानी, प्लम, कुसम्यारू के बीजों पर भी परिश्रम की आवश्यकता है।
- तिल का बीज, उड़द की दाल, कुल्थी के तेल में बना पदार्थ, दही, बकरी का दूध, कचौड़ी, पराठे, बेसन से बना पदार्थ, फूलगोभी, आलू, टमाटर, बैंगन आदि का कम से कम सेवन करना चाहिए।
- ९ ॰ लाजवन्ती, लौंग, लोबान, चौलाई, काला तिल, गौर, काली मिर्च, मंगरैला, कुल्थी, गौमूत्र आदि में से जो भी प्राप्त हो (कम से कम पांच या सात) के चूर्ण को जल में मिलाकर दक्षिणमुखी खड़े होकर स्नान करें।
- दान योग्य वस्तुएं: नीलम, लोहा, तिल, उड़द (माश), सरसों का तेल, काला वस्त्र, काली गाय, कुल्थी, लौह निर्मित पात्र, जूता, भैंस, कस्तूरी, सुवर्ण, नारियल, काले अथवा नीले पुष्प, फल, दक्षिणा इत्यादि।
- भोजन में अधिक उड़द व कुल्थी की दाल, खट्टी दही, सरसों, लहसुन, भारी व बादी भोजन, भैंस, सूअर व मछली का मांस, अति कड़वा और तीखा भोजन, सिरका, मदिरा आदि के सेवन से अल्सर की स्थिति पैदा हो सकती है ।
- भस्मों के शरीर में होने वाले अच्छे प्रभावों के कारण ही भस्मों का उपयोग अकेले या दवाओं के फार्मूले में मिलाकर किया जाने लगा / आज भी कर रहे हैं, उदाहरण के लिये हजरुल यहूद भस्म का उपयोग कुल्थी के काढे या पुनर्नवाष्टक कवाथ के साथ करने से चाहे कितनी बड़ी गुर्दे की पथरी हो