खरवा वाक्य
उच्चारण: [ khervaa ]
उदाहरण वाक्य
- राव गोपालसिंह खरवा का जन्म खरवा के शासक राव माधोसिंह जी की रानी गुलाब कुंवरीजी चुण्डावत के गर्भ से वि. स.१९३० काती बदी ११ गुरुवार,तदनुसार १९ अक्तूबर १८७३ ई.को हुआ था
- कुछ दिन बाद ही मारवाड़ के राजा विजयसिंह ने खरवा के ठाकुर सूरजमल, जो अजमेर किले के किलेदार थे, को आदेश दिया कि अजमेर मराठों को सौंप दें।
- खरवा का ठाकुर राव गोपालसिंह ने सामंत परिवार में जन्म लेकर भी देश के भविष्य के लिए अपनी वंश परम्परागत जागीर को देश की आजादी के लिए दांव पर लगा दिया।
- कई बार वो चिढ़ जाती थी. ' इसका ब्याह तो खरवा ठाकरसा से करना पडेगा ' मैं कहती-' बाई! मेरा बींद ठाकर सा जैसा होना चाहि ए. '
- और वो घटना भी जब वे एक अनजान औरत के घर मेरा ले के पहुँच गए थे क्योंकि उस महिला की सहेली ने खरवा ठाकुरसाब को उसका भाई बोल दिया था मजाक में.
- बुधवार को भिनाय की शेरगढ़ व सोकलिया, जवाजा की टॉडगढ व मालातो की बेर, केकड़ी के सरसड़ी व भराई एवं मसूदा के खरवा व पीपलाज में कला जत्थों के कार्यक्रम आयोजित किए गए।
- कुछ ही दिनों बाद अजमेर के अंग्रेज कमिश्नर ने पाँच सौ सैनिकों के साथ पथिक जी और गोपाल सिंह को खरवा के जंगलों से गिरफ्तार कर लिया और टाडगढ़ के किले में नजरबंद कर दिया।
- उनके बारे में ठाकुर केसरीसिंह ने लिखा था, “ जिस प्रकार पंजाब को लाला लाजपतराय पर और महाराष्ट्र को बाल गंगाधर तिलक पर गर्व है, उसी प्रकार राजस्थान को राव गोपालसिंह खरवा पर गर्व है।
- उन्होंने बताया कि 6 नवंबर को भिनाय की शेरगढ़ व सोकलिया, जवाजा की टॉडगढ़ व मालातों की बेर, केकड़ी के सरसड़ी व भराई एवं मसूदा के खरवा व पीपलाज में कला जत्थों के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- में ही गौड़ावाटी पर उनका पूर्ण रूप से अधिकार हुआ होगा | लेखक: ठाकुर सोभाग्य सिंह शेखावत स्वतंत्रता समर के योद्धा: राव गोपाल सिंह खरवा | गलोबल वार्मिंग की चपेट में आयी शेखावटी की ओरगेनिक सब्जीया|