गोपीनाथ कविराज वाक्य
उच्चारण: [ gaopinaath keviraaj ]
उदाहरण वाक्य
- इन पुस्तकों का रामस्वरूप, जे. पी. एस. उबेराय, एन. के बोस, श्री अरविंदों, जवाहरलाल नेहरू, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, गोपीनाथ कविराज, विद्यानिवास मिश्र, करपात्रीजी महाराज, खुद महात्मा गांधी, तिलक महाराज एवं आनंद कुमार स्वामी आदि की पुस्तकों के साथ तुलनात्मक अध्ययन होना चाहिए।
- एवं निकुंज लीला में क्रमश: आत्मविसर्जन करके विशुध्द महारस तत्व की प्रतिष्ठा करती है! “ (डा ० गोपीनाथ कविराज पृ, ० १ ८ ०) जिस परकीया भाव को प्राकृत जगत सबसे अधम वस्तु बताता है, उसके सामान पवित्र और पूर्ण आकर्षण प्रेम राज्य के किसी और भाव में संभव नहीं है!
- हालाँकि इन पंक्तियों में इस सच को स्वीकारने में कोई संकोच नहीं हो रहा है कि आज के दौर में ऐसे विशेषज्ञ व मर्मज्ञ नहीं के बराबर हैं, जो अध्यात्म साधना और ज्योतिष विद्या दोनों में निष्णात हों, पर कुछ दशक पूर्व भारतीय विद्या के महा पण्डित महामहोपाध्याय डॉ. गोपीनाथ कविराज के गुरु स्वामी विशुद्धानन्द जी महाराज के जीवन में यह दुर्गम सुयोग उपस्थित हुआ था।