गौल वाक्य
उच्चारण: [ gaaul ]
उदाहरण वाक्य
- माना जाता था कि गौल को पत्थर मारने पर यदि वह पानी तक पहले पहुँच गया तो, पत्थर फेंकने वाले की मौत हो जाती है और यदि पत्थर फेंकने वाला पहुँच गया तो गौल मर जायेगा।
- ३ ० बजे हमारा विमान पाकिस्तान अफगानिस्तान, इरान जर्मनी होते हुए पेरिस के चार्ल्स दी गौल एअरपोर्ट पर उतरा मौसम खुशगवार था यूरोप की सरज़मीन पर मेरा स्वागत सर्द हवाओं ने किया, वो सुबह काफी सुहानी थी.
- जबकि प्लूटार्क लिखते हैं कि स्पार्टाकस केवल उत्तर की ओर सिसलपाइन गौल भागना चाहता था और अपने साथियों को उनके घर भेजना चाहता था, अप्पियन और फ्लोरस ने लिखा है कि वह खुद रोम पर कब्जा करने का इरादा रखता था.
- उन सबमें ही यह खासियत थी कि वोह सभी एक ही किस्म से ताल्लुक रखते थे … उन सभी ने उन साधू महाराज से कुछ दुरी बनाते हुए उनके इर्द-गिर्द एक गौल घेरा सा बना लिया था …..
- ऐसा मालूम होता है कि परियों का एक गौल (झुण्ड) एक तिलिस्मी फजा (जादुई वातावरण) में इस तरह मस्ते-परवाज (उड़ने में मस्त) है कि एक पर एक की छूत पड़ रही है और कौसे-कुजह (इन्द्रधनुष) के अक्कास (प्रतिरूपक) बादलों से सबरंगी बारिश हो रही है......................।”
- ऐसा मालूम होता है की परियों का एक गौल (झुण्ड) एक तिलिस्मी फ़ज़ा (जादुई वातावरण) में इस तरह से मस्त-ए-परवाज़ (उड़ने में मस्त) है कि एक पर एक की छूत पड़ रही है और कौस-ए-कुज़ह (इन्द्रधनुष) के अक्क़ास (प्रतिरूपक) बादलों से सबरंगी बारिश हो रही है.....”
- यह लेख कुछ सबूत पेश करता है कि मूल दस्तावेज़ दूसरी शताब्दी में वर्तमान था: “करीब 180 ई. में लिओन के पादरी, आइरेनिअस ने रोमन गौल में अगेंस्ट हेरेसीज़ नामक एक बृहत् ग्रंथ लिखा उन्होंने हमला किया एक 'काल्पनिक इतिहास' पर जिसे 'वे गौस्पेल ऑफ़ जूडस कहते हैं.”
- [50] यह लेख कुछ सबूत पेश करता है कि मूल दस्तावेज़ दूसरी शताब्दी में वर्तमान था: “करीब 180 ई. में लिओन के पादरी, आइरेनिअस ने रोमन गौल में अगेंस्ट हेरेसीज़ नामक एक बृहत् ग्रंथ लिखा [जिसमें उन्होंने हमला किया] एक 'काल्पनिक इतिहास' पर जिसे 'वे गौस्पेल ऑफ़ जूडस कहते हैं.”
- ऐसा मालूम होता है कि परियों का एक गौल (झुण्ड) एक तिलिस्मी फजा (जादुई वातावरण) में इस तरह मस्ते-परवाज (उड़ने में मस्त) है कि एक पर एक की छूत पड़ रही है और कौसे-कुजह (इन्द्रधनुष) के अक्कास (प्रतिरूपक) बादलों से सबरंगी बारिश हो रही है...................... । ''
- ऐसा मालूम होता है की परियों का एक गौल (झुण्ड) एक तिलिस्मी फ़ज़ा (जादुई वातावरण) में इस तरह से मस्त-ए-परवाज़ (उड़ने में मस्त) है कि एक पर एक की छूत पड़ रही है और कौस-ए-कुज़ह (इन्द्रधनुष) के अक्क़ास (प्रतिरूपक) बादलों से सबरंगी बारिश हो रही है..... ”