चौदह रत्न वाक्य
उच्चारण: [ chaudh retn ]
उदाहरण वाक्य
- याद करें, भगवान विष्णु ने क्षीरसागर का मंथन किया था, जिससे चौदह रत्न निकले थे जिनमें एक कमला यानी लक्ष्मी भी थीं इसीलिए उन्हें क्षीरभवानी कहा जाता है।
- किंवदंती है कि देवताओं और दानवों के बीच हुए समझौते के बाद जब समुद्र मंथन किया गया तब समुद्र से चौदह रत्न निकले थे, जिनमें एक अमृत-कलश भी था.
- चन्द्रमा को भगवान के सर पर स्थान क्यों मिला? इसके पीछे भी एक पौराणिक कहावत है कि जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से चौदह रत्न निकले थे-“ श्री मणि रम्भा वारुणी अमिय शंख गजरा ज.
- शीर्ष देवताओं की सलाह पर उनके मध्य तय हुआ कि समुद्र मंथन किया जाय और मंथन से जो भी रत्न प्राप्त होंगे उन्हें समान रूप से आपस में बाँट दिया जायेगा. मंथन से चौदह रत्न प्राप्त हु ए.
- सागर में से एक-एक कर चौदह रत्न निकले, विष, वारूणि, पुष्पक विमान, ऐरावत हाथी, उच्चेःश्रेवा अश्व, लक्ष्मी, रम्भा, चन्द्रमा, कौस्तुभ मणि, कामधेनु गाय, विश्वकर्मा, धन्वन्तरि और अमृत कुम्भ ।
- अगीत विधा के अंतर्गत अगीत काव्य के चौदह रत्न अगीत काव्य के इक्कीस स्तंभ, अगीत काव्य के अष्टादशपथी अगीत काव्य के सोलह सारथी संकलनों का तथा संतुलित कहानी के क्षेत्र मेंसंतुलित कहानी के नौ रत्न, संतुलित कहानी के पंचादश रत्न का सम्पादन किया ।
- समुद्र मन्थन के दौरान चौदह रत्न हलाहल (विष), कामधेनु, उच्चे: श्रवा (अश्व), ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पद्रुम, रंभा, लक्ष्मी, वारुणी (मदिरा), चन्द्रमा, पारिजात वृक्ष, पांचजन्य शंख, धन्वन्तरि (चिकित्सक) और अमृत प्राप्त हुए।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकलने वाली वस्तुओं में रत्न कहा गया तथा वे चौदह रत्न थे जिनके नाम हैं-हलाहल, कामधेनु, उच्चैःश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पद्रुम, रम्भा, लक्ष्मी, वारुणी (मदिरा), चन्द्रमा, पारिजात वृक्ष, शंख, धन्वन्तरि वैद्य और अमृत।
- जब से भइल चटकोर उमारिया॥ आफत आयी जवानी पे॥ नजर लगावे गाँव के लड़के ॥ मन ललचाय नादानी पे॥ सज दज के स्कूल गइल जब॥ बोली बोले निशानी पे॥ नजर लगावे गाँव के लड़के ॥ मन ललचाय नादानी पे॥ चौदह साल मा चौदह रत्न से॥ भर गइल बा सागर॥ छलकत जाए मन कय महुआ॥ भारी लागे गागर॥ हंस हंस के जब मुस्की मारय॥ आवे हँसी कहानी पे॥ नजर लगावे गाँव के लड़के ॥ मन ललचाय नादानी पे॥