जागरी वाक्य
उच्चारण: [ jaagari ]
उदाहरण वाक्य
- रम्माण शैली में पात्रों के बीच संवादों का आदान-प्रदान नहीं होता, बल्कि जागरी (रामायण गायन करने वाला) रामायण गायन करता है और पात्र इस पर नृत्य या अभिनय करते हैं.
- नर्तन व गीत समाप्ति के बाद जागरी या झाड़खंडी उस आत्मा से कहता है कि तुम्हारे तुम्हारी पूजा दी गयी है, तुम्हारी इच्छानुसार भोजन व तंबाकू दिया गया है अत: से बाहर चले जावो ।
- रूपकुण्ड के नरकंकाल, बगुवावासा में स्थित आठवीं सदी की सिद्ध विनायक भगवान गणेश की काले पत्थर की मूर्ति आदि इस यात्रा की ऐतिहासिकता को सिद्ध करते हैं, साथ ही गढ़वाल के परंपरागत नन्दा जागरी (नन्दादेवी की गाथा गाने वाले) भी इस यात्रा की कहानी को बयॉं करते हैं।
- रूपकुण्ड के नरकंकाल, बगुवावासा में स्थित आठवीं सदी की सिद्ध विनायक भगवान गणेश की काले पत्थर की मूर्ति आदि इस यात्रा की ऐतिहासिकता को सिद्ध करते हैं, साथ ही गढ़वाल के परंपरागत नन्दा जागरी (नन्दादेवी की गाथा गाने वाले) भी इस यात्रा की कहानी को बयॉं करते हैं।
- रूपकुण्ड के नरकंकाल, बगुवावासा में स्थित आठवीं सदी की सिद्ध विनायक भगवान गणेश की काले पत्थर की मूर्ति आदि इस यात्रा की ऐतिहासिकता को सिद्ध करते हैं, साथ ही गढ़वाल के परंपरागत नन्दा जागरी (नन्दादेवी की गाथा गाने वाले) भी इस यात्रा की कहानी को बयॉं करते हैं।
- ला उपन्यास ' जागरी ' एवं ' ढोड़ायचरितमानस ' (हिन्दी अनुवाद: मधुकर गंगााधर), फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यास ' मैला आँचल ' (1954 ई.) एवं ' परती परिकथा ' (1957 ई.) तथा रिपोर्ताज-संग्रह ' ऋणजल धनजल ' (1978 ई.), केदारनाथ बंद्योपाध्याय का बाड्.
- सतीनाथ भादुड़ी का ‘ जागरी ', बीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य का ‘ मृत्युंजय ', समरेश बसु का ‘ जुग जुग जियो ' (चार खंड) जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण उपन्यासों के अलावा भारतीय भाषाओं में, भारतीय अंग्रेजी उपन्यास सहित, कई उपन्यास भारत छोड़ो आंदोलन की घटना पर लिखे गए या उनमें उस घटना का जिक्र आया है।
- जागरी डमरू और थाली बजाने के साथ जागर (धार्मिक लोक गीत) गाते हैं और एक या कई मनुषों के शरीर पर मृतक की आत्मा घुस आती है और वह (पश्वा) नाचता है इन जागरों में जागर किसी ख़ास पौराणिक व्यक्ति जैसे अभिमन्यु मरण जैसी लोक गाथाओं के गायन, संगीत व नृत्य होते हैं होता है ।
- सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक जो जातियां सरकारी नौकरी से दूर हैं उनमें गाडिया लोहार, बागरिया, हेला, मोगिया, न्यारिया, पटवा, सतिया-सिंधी, सिकलीगर, बंदूकसाज, सिरकीवाल, तमोली, जागरी, लोढ़े-तंवर, खेरवा, कूंजड़ा, सपेरा, मदारी, बाजीगर, नट, खेलदार, चूनगर, राठ, मुल्तानीज, मोची, कोतवाल, कोटवाल शामिल है।
- इन्ही जागर गीतों में सम्बंधित देवी-देबता के आवाहन के मंत्रो का लय बध समावेश होने के साथ अतीत और इतिहास के असंख्य घटनाक्रम मात्र और गीत रूप मे सन्निहित होते हैं तथा प्रतिएक के आवाहन के मंत्र, वाद्या यन्त्र,और पूजा की विधि भी अलग होती है और इनके मर्मज्ञ जिन्हे जागरी कहा जाता है वे भी पीड़ी दर पीड़ी प्राप्त विशेष दक्षता लिये होते हैं | ये जागर गीत उत्तराखंड की ना केवल धार्मिक आस्था के प्रतिक हैं अपितु ये उसकी सामाजिक,सांस्कृतिक,साहित्यिक और ऐतिहासिक धरोहर के आधार स्तंभों में से एक हैं |