ज्ञान समाज वाक्य
उच्चारण: [ jenyaan semaaj ]
उदाहरण वाक्य
- जिसके फलस्वरूप वर्तमान समाज, ज्ञान समाज के रूप में परिवर्तित हो चूका है और पाठकों की सूचना आवश्यकता में व्यापक परिवर्तन आ रहा है जिसका प्रभाव पुस्तकालय विज्ञानं के शिक्षण तथा प्रशिक्षण पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.
- में व्यापार के विकास के लिए एक निर्णायक कारक के रूप में अब था ज्ञान समाज आईटी के समुचित उपयोग, जो विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी कंपनियों और जो नहीं कर रहे हैं कि बीच अंतर कर सकते है करार दिया है....
- माया को झूठा झूठा कहते हैं ताउम्र मरने पर उनके कमरों में संपदा के भंडार भक्तों की आंखों को छकाते हैं, सत्य को जानने के दावे [...] हिन्दी चमत्कार धर्म और भ्रम मनोरंजन माया का खेल सत्य और ज्ञान समाज हिन्दी साहित्य
- हम इस ब्लॉग में तमाम साईट से सामाग्री लेते हैं, हमारा मानना है की ज्ञान समाज के विकास के लिए होता है और किसी का कुछ भी लिखा हुआ उसका अपना नहीं होता बल्कि उसके योगदान के साथ, समाज का समाज के लिए उत्पाद है.
- राष्ट्री य ज्ञान नेटवर्क से बड़े प्रतिभागी संस्थाचनों के बीच ज्ञान संसाधन के सृजन, अधिग्रहण और आपस में बांटने की सुविधा के साथ सहयोगात्म्क अनुसंधान, देश व्या पी कक्षाकक्ष (सीडब्यूक सीआर) आदि किए जाएंगे और देश को एक ज्ञान समाज के रूप में विकसित होने में सहायता मिलेगी।
- हम इस ब्लॉग में तमाम साईट से सामाग्री लेते हैं, हमारा मानना है की ज्ञान समाज के विकास के लिए होता है और किसी का कुछ भी लिखा हुआ उसका अपना नहीं होता बल्कि उसके योगदान के साथ, समाज का समाज के लिए उत्पाद है.
- पर मैंने साफ मना कर दिया और कहा-नहीं चौधरी जी, भगवान की दुआ से इतनी बड़ी पोस्ट पर हूँ और इतना कमाता भी हूँ कि अपने घर के साथ 10-20 घर भी चला सकता हूँ, यह ज्ञान समाज सेवा के लिए ही ठीक है।
- देखा होता तो भगवत ज्ञान समाज मे आता |आपका लेख सुनी सुनाई, या मीडिया प्रक़ाचलाइट बातो पर4 केवल अधराइट है |मैने दोनो की वीडियो देखे,वाशविकता वा नही जो मीडिया कह रही है |दुख क्मी बत है मीडिया इतना नीओचे गिर जाती है,जब बत संघ की आती है |
- यकीन है कि ' नवाचार ' अकेले और एक विशुद्ध रूप से तकनीकी दृष्टिकोण काफी समझ में आज के ज्ञान समाज नहीं है कि अर्थशास्त्र से काटा नहीं जा सकता, ESST पर ध्यान केंद्रित प्रशासन, और एक बहु-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण से स्थिरता नवाचार की संस्कृतियों.... [-]
- प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास के दौरान ज़्यादातर वास्तुकला की डिजाइ और निर्माण पत्थर तराशने वाले और बढ़ई जैसे कारीगरों द्वारा किये जाते थे जिनकी भूमिका आगे चलकर प्रधान निर्माता तक बढ़ी. ज्ञान समाज के एक विशेष संघ के बीच कायम रहता था और कभी कभार ही इनमें कोई विकास जगह ले पाता था.उस समय बने ढांचे, सड़कें और बुनियादी सुविधाएं दुहराए हुए से होते थे और पैमाने में बढ़त वृद्धिसम्बन्धी थी.