तैत्तिरीय ब्राह्मण वाक्य
उच्चारण: [ taitetiriy beraahemn ]
उदाहरण वाक्य
- तैत्तिरीय ब्राह्मण [3] में आया है कि कुरु-पांचाल शिशिर-काल में पूर्व की ओर गये, पश्चिम में वे ग्रीष्म ऋतु में गये जो सबसे बुरी ऋतु है।
- ** मुख्य ब्राह्मणग्रन्थ पाँच हैं-# [[ऐतरेय ब्राह्मण]], # [[तैत्तिरीय ब्राह्मण]], # तलवकार ब्राह्मण, # [[शतपथ ब्राह्मण]] और # ताण्डय ब्राह्मण।
- तैत्तिरीय ब्राह्मण * में भारद्वाज के विषय में एक गाथा है, जिसमें कहा गया है कि भरद्वाज अपनी आयु के तीन भागों (75 वर्षों) तक ब्रह्मचारी रहे।
- तैत्तिरीय ब्राह्मण में कहा है कि उगते, अस्त होते तथा मध्यान्ह में ऊपर जाते आदित्य यानी सूर्य का ध्यान करते हुए विद्वान मनुष्य सम्पूर्ण कल्याण को प्राप्त होता है।
- तैत्तिरीय ब्राह्मण ३. ७. ११. २ में इसी ऋचा के संदर्भ में उचथ शब्द की निरुक्ति उच-समवाये / सम्बन्धे धातु के आधार पर की गई है ।
- तैत्तिरीय ब्राह्मण कहता है कि जो स्वर्ग प्राप्ति की कामना से यज्ञानुष्ठान करता है उसे श्येन (बाज) पक्षी की आकृति जैसी वेदी बनवानी चाहिए क्योंकि श्येन की उड़ान समस्त पक्षियों में श्रेष्ठ है;
- ' तैत्तिरीय ब्राह्मण [85] ने लगता है, उन पितरों में जो देवों के स्वभाव एवं स्थिति के हैं एवं उनमें, जो अधिक या कम मानव के समान हैं, अन्तर बताया है।
- ऋग्वेद, तैत्तिरीय ब्राह्मण जैसे पौराणिक भारतीय ग्रंथों और आर्यभट, भास्कराचार्य आदि भारतीय खगोलज्ञों का संदर्भ देते हुए खगोलशास्त्र की यूनानी, अरबी और यूरोपीय अवधारणाओं को पुस्तक अपनी विवेचना के दायरे में समेटती है।
- तैत्तिरीय ब्राह्मण कहता है कि जो स्वर्ग प्राप्ति की कामना से यज्ञानुष्ठान करता है उसे श्येन (बाज) पक्षी की आकृति जैसी वेदी बनवानी चाहिए क्योंकि श्येन की उड़ान समस्त पक्षियों में श्रेष्ठ है ;
- परंतु इसमें संदेह नहीं कि उस दीर्घकाल का अंत भी शतपथ ब्राह्मण के निर्माण के पहले ही हो गया था क्योंकि उस ब्राह्मण के अंतिम खंडों तथा तैत्तिरीय ब्राह्मण और छांदोग्य उपनिषद् में उसका उल्लेख हुआ है।