द्रेष्काण वाक्य
उच्चारण: [ deresekaan ]
उदाहरण वाक्य
- 6. द्रेष्काण लग्न में जितने पुरुष ग्रह हों उतने भाई तथा जितने स्त्री ग्रह हों उतनी बहनें होती हैं अथवा द्रेष्काण लग्नेश जिस राशि क्रमांक में हो उतने भाई-बहिन होते हैं।
- 6. द्रेष्काण लग्न में जितने पुरुष ग्रह हों उतने भाई तथा जितने स्त्री ग्रह हों उतनी बहनें होती हैं अथवा द्रेष्काण लग्नेश जिस राशि क्रमांक में हो उतने भाई-बहिन होते हैं।
- उक्त स्थिति के साथ ही यदि नवमेश पक्षी द्रेष्काण में हो, तो इस स्थिति में भी विदेश शिक्षा हेतु या किसी विषय में विशेषज्ञता हेतु विदेश शिक्षा का योग बनता है।
- यदि 6 / 7 / 8 स्थान में कोई ग्रह नहीं हो तो षष्ठ भावगत द्रेष्काण के स्वामियों में जो ग्रह बली हो उस ग्रह के लोक में जातक मरणोपरांत जाता है।
- सिंह राशि का स्वामी सूर्य है, और इस राशि का तत्व अग्नि है.इसके तीन द्रेष्काण और उनके स्वामी सूर्य,गुरु,और मंगल,हैं.इसके अन्तर्गत मघा नक्षत्र के चारों चरण,पूर्वाफ़ाल्गुनी के चारों चरण,और उत्तराफ़ाल्गुनी का पहला चरण आता है.
- सिंह राशि का स्वामी सूर्य है, और इस राशि का तत्व अग्नि है.इसके तीन द्रेष्काण और उनके स्वामी सूर्य,गुरु,और मंगल,हैं.इसके अन्तर्गत मघा नक्षत्र के चारों चरण,पूर्वाफ़ाल्गुनी के चारों चरण,और उत्तराफ़ाल्गुनी का पहला चरण आता है.
- जन्म कुंडली का पंचम भाव, पंचम भाव का स्वामी एवं पंचम भाव स्थित ग्रह व सूर्य और चंद्रमा में जो ग्रह बली हो उसकी द्रेष्काण में स्थिति, पुनर्जन्म के बारे में बताती है।
- यदि 6, 7, 8 वें भाव में कोई ग्रह न हो तो षष्ठम और अष्टम भाव के द्रेष्काण पति में जो बलवान हो, उस ग्रह के अनुसार उस लोक में जाता है।
- अर्थात् जन्मकालिक ग्रह स्थिति में सूर्य और चंद्र में से जो बली हो, वह यदि गुरु के त्रयंश (द्रेष्काण) में स्थित हो तो जातक देवलोक (स्वर्ग) से आया है ऐसा समझना चाहिए।
- पुनर्जन्म के बारे में ज्योतिषीय तथ्य बृहज्जातक नैर्याणिकाध्याय के अनुसार: सूर्य और चंद्रमा में जो बली हो वह बली ग्रह जिस द्रेष्काण में हो उस द्रेष्काण का स्वामी गुरु हो तो जातक देवलोक से आता है।