धर्म राज वाक्य
उच्चारण: [ dherm raaj ]
उदाहरण वाक्य
- धर्म राज ने उठकर जितना स्वागत राजा का किया उतना किसी का नहीं किया यह देखकर यमराज ने धर्मराज से पूछा स्वामी इतना स्वागत आप इस राजा का कर रहे हैं क्या कारण है तथा धर्मराज ने कहा यमराज यह राजा बहुत उपासना वाला है तथा सृष्टि का पुत्रवत् पालन करता है, फिर इसने अधिमास के कृष्ण पक्ष की हरिवल्लभा परमा एकादशी का व्रत निराहार रहकर किया है ।
- * इस अकुलीन कर्ण से, कृष्णा कैसे कुछ चाहेगी, इतना द्वेष प्रतारण का कुछ तो चुक जाये बदला और उसी आवेशित क्षण में क्षुब्ध हृदय पगलाया आज अभी चुकता कर लूँ सारा अगला-पिछला. * और दूसरी बार युद्ध में किसने नीति निभाई, धर्म राज ने मिथ्या को सच का पर्याय बनाया वासुदेव ने बड़ा कुशल नीतिज्ञ रूप धारण कर, कितने नाटक रचे उन्हीं के हित में खेल रचाया.
- महाभारत युद्ध के बाद जब धर्म राज युधिष्ठर वनों में ढूंढते ढूंढते अपने काका श्री विदुर से मिले तो विदुरजी ने एक वाट वृक्ष के नीचे योग मुद्रा में खड़े हो कर अपने प्राण त्याग दिया-युधिष्टर को यका यक महसूस हुआ कि उसके शरीर में एक दैवी शक्ति आ गई है...विदुर जी भी युधिष्टर की भांति धरमराज का अवतार थे और अपनी ईच्छा से देह त्याग कर अपने मूल अंश में वलीन हो गए.
- जितनी शक्ति यहाँ व्यर्थ की हैं अगर हिन्दू और हिन्दुस्तान पर जो आपतिजनक आलेख लिख रहे हैं उन पर लगाते तो शायद भारतीये संस्कृति की रक्षा होती धर्म केवल आस्था हैं और कानून और संविधान समाज की सुरक्षा के लिये होते हैं धर्म को समाज की सुरक्षा का भार दोगे तो जिस धर्मं मे ज्यादा मार पीट करने वाले होगे वही धर्म राज करेगा कभी उनलोगों के ब्लॉग पढो जो निरंतर भारतीये संस्कृति पर वार कर रहे हैं.
- प्रिय श्री धर्म राज जी, आप ने तो अपना नाम ही धर्मराज, धर्म का राज, लिखा है इस लिए मैं मान लेता हूं कि आप मुझे कुत्ता कंह रहे हैं तो यह आपका मेरे प्रति प्रेम और आप के ज्ञान कप संम दृष्टि ही होगी! पंचवें अध्याय में गीता का एक श्लोक है-विद्याविनयसम्पन्ने ब्राम्हणे गविहस्तिनि शुनिचैव स्वपाके च पंडिताः समदर्शिनः! ज्ञानी जन विद्या विनय से युक्त ब्राम्हण तथा चांडाल में, गाय में और कुत्ते में तथा हाथी में समान दृष्टि वाले होते हैं!