नंददुलारे वाजपेयी वाक्य
उच्चारण: [ nendedulaar vaajepeyi ]
उदाहरण वाक्य
- महावीरप्रसाद द्विवेदी, रामचंद्र शुक्ल, नंददुलारे वाजपेयी और हजारीप्रसाद द्विवेदी जैसे साहित्यिक-अकादमिक प्रतिष्ठान-व्यक्तित्वों के सम्बन्ध व्यावसायिक प्रकाशकों से कैसे थे यह हम नहीं जानते, अलबत्ता मैंने एकाध बार हजारी बाबू को, उनके मानसपुत्र रामू काका की तरह, राजकमल में शीला संधू के सान्निध्य में पाया है.
- समीक्षा के क्षेत्र में आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार वसंत त्रिपाठी, हरजिंदर सेठी को, पत्रकारिता के लिए हरीश पाठक को, अनुवाद के क्षेत्र में मामा वरेरकर पुरस्कार डॉ. स्मिता दात्ये और वैज्ञानिक तकनीकी के क्षेत्र में दिया जाने वाला होमी जहांगीर भाभा पुरस्कार पुणे के दिलीप मेहरा को दिया जाएगा।
- गढ़ाकोला ही नहीं, जहां निराला, नंददुलारे वाजपेयी, महावीर प्रसाद द्विवेदी या अशोक वाजपेयी के पूर्वजों जैसी कई प्रतिभाएं हुईं, बल्कि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड आदि के अनगिनत गांव ऐसे आज भी हैं, जहां ऐसे बिंब अब भी टीवी के बाहर जीवन के वास्तविक यथार्थ में बनते रहते हैं।
- आचार्य नंददुलारे वाजपेयी ने सूर संदर्भ में लिखा है कि यह कहने का साहस नहीं होता है कि सूरदास ने बिना अपनी आंखों से देखे केवल कल्पना से ये सब लिखा है, लेकिन महाकवि सूरदास में उन्होंने सूरदास को जन्मांध सिद्ध किया है, जबकि चंद्रबली पांडेय के मुताबिक़, सूरदास जन्मांध नहीं थे.
- एक छोटा-मोटा दस्ता रामचंद्र शुक्ल और हजारीप्रसाद द्विवेदी युगों से ही उठ खड़ा हुआ था, फिर नंददुलारे वाजपेयी, शिवमंगल सिंह ‘ सुमन ', नगेंद्र आदि के उप-युगों से होता हुआ अब नामवर सिंह, केदारनाथ सिंह, मैनेजर पांडे, पुरुषोत्तम अग्रवाल से गुजरता हुआ सुधीश पचौरी और अजय तिवारी जैसे अकादेमिक बौने छुटभैयों तक एक अक्षौहिणी में बदल रहा है।
- इसी प्रकार नंददुलारे वाजपेयी ने भी रस को काव्य की मानवतावादी सत्ता से जोड़ा तथा नगेंद्र ने रस सिद्धांत की परिधि का इतना विस्तार किया कि अभिजात्यवाद, स्वच्छंदतावाद, यथार्थवाद, अभिव्यंजनावाद, प्रभाववाद और प्रतीकवाद तक भी उसके घेरे में आ गए. डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने सांस्कृतिक चेतना के नैरंतर्य और मानवतावाद को आलोचना का मूलबिंदु बनाया.
- एक छोटा-मोटा दस्ता रामचंद्र शुक्ल और हजारीप्रसाद द्विवेदी युगों से ही उठ खड़ा हुआ था, फिर नंददुलारे वाजपेयी, शिवमंगल सिंह ‘ सुमन ', नगेंद्र आदि के उप-युगों से होता हुआ अब नामवर सिंह, केदारनाथ सिंह, मैनेजर पांडे, पुरुषोत्तम अग्रवाल से गुजरता हुआ सुधीश पचौरी और अजय तिवारी जैसे अकादेमिक बौने छुटभैयों तक एक अक्षौहिणी में बदल रहा है।
- आज नंददुलारे वाजपेयी द्वारा लिखित पुस्तक कवि निराला पढ़ रहा था और क्योंकि निराला की दिनचर्या भी लगभग इसी लहजे में हुआ करती थी प्रारम्भ और यह जानने पर कि निराला का दानी स्वभाव बहुत हद तक उनकी अर्थ समस्या थी ” रिक्शे वाले या पं वालों को पैसा देकर वापस न लेना उनका स्वभाव नहीं अपितु कट जाता था उसमें जिसे प्रायः वे उधार (कर्ज) लिए रहते थे ।
- आज नंददुलारे वाजपेयी द्वारा लिखित पुस्तक कवि निराला पढ़ रहा था और क्योंकि निराला की दिनचर्या भी लगभग इसी लहजे में हुआ करती थी प्रारम्भ और यह जानने पर कि निराला का दानी स्वभाव बहुत हद तक उनकी अर्थ समस्या थी ” रिक्शे वाले या पं वालों को पैसा देकर वापस न लेना उनका स्वभाव नहीं अपितु कट जाता था उसमें जिसे प्रायः वे उधार (कर्ज) लिए रहते थे ।
- बालकृष्ण शर्मा ‘ नवीन ' (उपन्यास), सुभद्राकुमारी चौहान (कहानी), श्रीकृष्ण सरल (कविता), नंददुलारे वाजपेयी (आलोचना), हरिकृष्ण प्रेमी (नाटक / एकांकी), शरद जोशी (व्यंग्य), दुष्यंत कुमार (प्रदेश के लेखक की पहली कृति), ईसुरी (लोकभाषा विषयक) और जहूरबख़्श (बाल साहित्य) पर इस प्रकार कुल नौ प्रादेशिक पुरस्कारों के विषय हैं।