नन्दन वन वाक्य
उच्चारण: [ nenden ven ]
उदाहरण वाक्य
- पावस, गर्मी, पतझड़ भू के गौरव हैं, धरती का इनसे ही यौवन अभिनव है, समरसरंगी पर कभी न गुंजन छाया, मधु ऋतु का वैभव कभी न कम्पन लाया! तुम चाहे नन्दन वन की सुषमा ला दो, मैं मधु ऋतु का सत्कार न करने दूँगी!
- देवभूमि उत्तराखण्ड में पतित पावनी माँ गंगा का उद्गम का भूगोल पुरी तरह से बदल रहा है, इसका इतना असर दिख रहा है कि आगे आने वाली पिढ़ी को गंगा के इतिहास में यह पढ़ना पड़ेगा कि गंगा गंगोत्री से न निकल कर गंगा ‘ नन्दन वन ‘ से निकलती है.
- “ दिनकर की ही भांति सी. नारायण रेड्डी ने भी गांधी जी के व्यक् तित्व को विराट मानकर यह कहा है कि उनकी दिव्य शक् ति के सान्निध्य में नरक स्वर्ग हो गया है-” नरक में नन्दन वन लगाया है तूने / स्थिरों को सिंह शावक बनाया है तूने / मिट्टी और पत्थरों को वज्रों में परिवर्तित किया तूने।
- हे मेरे बेनामी सहृदय! अगर हिन्दी साहित्य और भाषा के किसी धुरंधर जानकार का ठौर आपको नन्दनवन सरीखा लगता हो और यह शब्दों का खालिस सफर मृत्युलोकी वसुधा तो एक बात बताना जरूरी है कि-“ वसुधा से भिन्न कहीं होता है नन्दन वन ऐसी प्रतीति जिय में मैं ठानता नहीं, उसे जानता नहीं, उसे मानता नहीं । ”
- १९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं: कस्बाई जिन्दगी में निखरता-बिखरता सहज-सा जीवन! 'जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया, जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गय” की लीक लिये 'वसुधा से भिन्न कहीं होता है नन्दन वन?, ऐसी प्रतीति जिय में मैं ठानता नहीं, उसे जानता नहीं, उसे मानता नहीं' का श्लोक पढ़ता हुआ हिमांशु हूँ मैं ।
- इक और नया अवसर आया ख़ुशियों के पुष्प खिलाने का अंतस् की सब कटुता तजकर अपनों को गले लगाने का मन में जागे उल्लास नया जीवन में हो मधुमास नया उलझे-सुलझे संबंधों में फिर से पनपे विश्वास नया मुस्कानों की कलियाँ चटकें हर दिल में निस्पृह प्रीत उठे पावनता नयनों में उतरे मन में मधुरिम संगीत उठे हर जीवन के वातायन में चंदन बन महके नया साल आशाओं के नन्दन वन में चिड़िया सा चहके नया साल
- १ ९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं: कस्बाई जिन्दगी में निखरता-बिखरता सहज-सा जीवन! ' जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया, जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गय ” की लीक लिये ' वसुधा से भिन्न कहीं होता है नन्दन वन?, ऐसी प्रतीति जिय में मैं ठानता नहीं, उसे जानता नहीं, उसे मानता नहीं ' का श्लोक पढ़ता हुआ हिमांशु हूँ मैं ।