नोबेल शान्ति पुरस्कार वाक्य
उच्चारण: [ nobel shaaneti pureskaar ]
उदाहरण वाक्य
- इसी प्रकार 1984 व 1993 में क्रमशः डेसमण्ड टूटू व नेल्सन मण्डेला को नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिन्होंने गाँधी जी को प्रेरणास्रोत मानते हुये दक्षिण अफ्रीका में वर्णभेद व रंगभेद की खिलाफत की थी।
- के ढेर सारे उदाहरणों में से एक), और अब उसे भारत से अलग करने के लिये “बराक हुसैन ओबामा” भी दबाव बना रहा है (आखिर उसे भी नोबेल शान्ति पुरस्कार के “नमक का हक” अदा करना है भाई…)।
- अरब क्रान्ति की नेता और सबसे कम उम्र में नोबेल शान्ति पुरस्कार जीतने वाली यमन की पत्रकार तवक्कुल कारमान का कहना है कि हर तानाशाह आतंकवादी होता है और हर आतंकवादी निश्चित रूप से तानाशाह होता है.
- यह एक अलग बहस का विषय है कि किन कारणों से उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया पर कालान्तर में गाँधी जी के सिद्धान्तों पर चलकर उन्हें अपना प्रेरणास्रोत मानने वाले कई लोगों को नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- इसके पास ही राजा का महल है और थोड़ी दूर पर ही इब्सेन म्यूज़ियम, नोबेल शान्ति पुरस्कार का मुख्यालय, समुद्रतट आदि हैं लेकिन ओस्लो के रहने वाले सभी इमारतों पता नैशनल थियेटर के सन्दर्भ से ही बताते हैं.
- 1979 में नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित मदर टेरेसा द्वारा 1948 में स्थापित एक संस्था, द आर्डर आफ़ मिशनरीज़ आफ़ चैरिटी, शहर के सबसे विपन्न वर्गों के नेत्रहीन, वृद्ध, मरणासन्न और कुष्ठ रोगियों की देखभाल करती है।
- यह एक अलग बहस का विषय है कि किन कारणों से उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया पर कालान्तर में गाँधी जी के सिद्धान्तों पर चलकर उन्हें अपना प्रेरणास्रोत मानने वाले कई लोगों को नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- यह यूरोपीय गौरांग नस्लवादी उपनिवेशवादी साम्राज्यवाद का मामला है जो दुबारा अफ्रीका पर शिकंजा कस रहा है-फर्क सिर्फ यही है कि इस बार यह कुकृत्य बेहतर देखरेख के लिए नोबेल शान्ति पुरस्कार का ठप्पा लगा कर किया जा रहा है.
- क्या आप जानते हैं कि नोबेल शान्ति पुरस्कार के लिए लियू का नाम सबसे पहले किसने प्रस्तावित किया था? दलाई लामा ने! ज्ञात हो कि दलाई लामा स्वयं नेशनल एण्डाउमेण्ट फ़ॉर डेमोक्रेसी से साम्राज्यवाद की सेवा के लिए अरबों डालर लेता है।
- आपकी मुलाक़ात यहाँ पर नेल्सन मंडेला, दलाई लामा, अमर्त्य सेन, आर्च बिशप डेसमंड टूटू से कई बार हुयी है और जब नोबेल शान्ति पुरस्कार के एक सौ साल पूरे होने पर जश्न मनाया गया था तो जिन विभूतियों को बुलाया गया था उनमें सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक भी शामिल थे।