पन्नालाल घोष वाक्य
उच्चारण: [ pennaalaal ghos ]
उदाहरण वाक्य
- युग बदल गए, बाँसुरी की अवस्था जस की तस रही, युगों बाद में पंडित पन्नालाल घोष जी ने अपने अथक परिश्रम से बांसुरी वाद्य में अनेक परिवर्तन कर, उसकी वादन शैली में परिवर्तन कर बाँसुरी को पुनः भारतीय संगीत में सम्माननीय स्थान दिलाया।
- महान भारतीय बांसुरी वादक पन्नालाल घोष ने सर्वप्रथम छोटे से लोक वाद्ययंत्र को बांस बांसुरी (सात छिद्रों वाला 32 इंच लंबा) में परिवर्धित करके इसे परंपरागत भारतीय शास्त्रीय संगीत बजाने योग्य बनाया था तथा इसे अन्य शास्त्रीय संगीत वाद्य-यंत्रों के कद का बनाया था.
- बाबा के शिष्यों की सूची तो यहाँ बस शुरु होती है, इसमें जुडते जाते हैं नाम, बांसुरी वादक पन्नालाल घोष, उनकी बेटी अन्नपूर्णा देवी जिन्होंने पंडित रविशंकर से शादी ही नहीं की बल्कि उन्हें सिखाया भी और पंडित हरि प्रसाद चौरसिया.
- उस्ताद अलाउद्दीन ख़ान के शिष्य अमल ज्योति घोष उर्फ़ पन्नालाल घोष (३ १ जुलाई १ ९ ११-२ ० अप्रैल १ ९ ६ ०) की यह उपलब्धि थी कि उन्होंने बांसुरी को संगीत में उसका वह दर्ज़ा दिलवाया जहां वह आज है.
- लेकिन हम अपने पाठकों के लिए यहाँ बताना चाहेंगे कि लता जी ने कुछ इस तरह से पारुल जी को संबोधित किया था-” पारुल घोष, जानेमाने संगीतकार अनिल बिस्वास जी की बहन, और प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित पन्नालाल घोष की पत्नी थीं।
- इसके अलावा उस्ताद बिस्मिल्ला खान का शहनाई वादन, उस्ताद अलाउद्दीन खान का सरोद वादन और द्वाराम वेंकटस्वामी नायडू के वायलिन पर आधारित दुर्लभ राग, टीएन राजरत्नम पिल्लई का नादस्वरम और टीआर महालिंगम एवं पन्नालाल घोष के बांसुरी वादन को भी यात्रियों को सफर के दौरान सुनाया जाएगा।
- पंडित पन्नालाल घोष के शिष्य मशहूर बाँसुरी-वादक “ पंडित रघुनाथ सेठ ” की मकबूलियत भले हीं आज की पीढी के दरम्यान न हो, लेकिन शास्त्रीय संगीत से जुड़े लोग “ बाँसुरी वादन ” और “ बाँसुरी ” के सुधार में उनका योगदान कतई नहीं भूल सकते।
- युग बदल गए, बाँसुरी की अवस्था जस की तस रही, युगों बाद कलि युग में पंडित पन्नालाल घोष जी ने अपने अथक परिश्रम से बांसुरी वाद्य में अनेक परिवर्तन कर, उसकी वादन शैली में परिवर्तन कर बाँसुरी को पुनः भारतीय संगीत में सम्माननीय स्थान दिलाया।
- इसके अलावा उस्ताद बिस्मिल्ला खान का शहनाई वादन, उस्ताद अलाउद्दीन खान का सरोद वादन और द्वाराम वेंकटस्वामी नायडू के वायलिन पर आधारित दुर्लभ राग, टी एन राजरत्नम पिल्लई का नादस्वरम और टी आर महालिंगम एवं पन्नालाल घोष के बांसुरी वादन को भी यात्रियों को सफर के दौरान सुनाया जाएगा।
- पंडित पन्नालाल घोष की बाँसुरी के लिए उन्होंने कहा था कि ‘उनकी बाँसुरी बजती ही नहीं थी, बल्कि [...] लता हिंदी फिल्म संगीत अमित तिवारी ओल्ड इज गोल्ड आप यूँ फासलों से गुजरते रहे…रहस्य की वादियों में हुस्न की पुकार और लता लता जी के बारे में जितना लिखा जाये कम ही है.