पाइथागोरस प्रमेय वाक्य
उच्चारण: [ paaithaagaores permey ]
उदाहरण वाक्य
- यह श्लोक करीब ८ ०० ई. प ू. में रचित बौधायन सुल्वसूत्र के प्रथम अध्याय का अड़तालीसवां श्लोक है और भारतीय गणितज्ञ बौधायन की उस प्रमेय का कथन है जो पाइथागोरस प्रमेय के नाम से अधिक प्रचलित है!
- [11] इसमें पाइथागोरस प्रमेय (आयत के किनारों के लिए) का सामान्य कथन भी शामिल है: “एक आयत के विकर्ण की लम्बाई के साथ-साथ खींची गयी डोरी वह क्षेत्रफल बनाती है जो ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज किनारे साथ मिलकर बनाते हैं.”[11]
- समकोण त्रिभुज प्रमेय को पाइथागोरस प्रमेय के नाम से गणित के सभी विद्यार्थी जानते है | समकोण त्रिभुज के कर्ण का वर्ग उसके अधार और लम्ब के वर्गो के योग के बराबर होता है | शुल्व सूत्रो मे बिना...
- मसलन पिछले दिनों एक दिन फोन पर गणित में पढाई जाने वाली पाइथागोरस प्रमेय की बात हो रही थी तो वे बोले कि अगली बार हब हम मिलेंगे तब मैं तुमसे जानूंगा कि पाइथागोरस प्रमेय की उत्पत्ति अब कैसे की जाती है।
- मसलन पिछले दिनों एक दिन फोन पर गणित में पढाई जाने वाली पाइथागोरस प्रमेय की बात हो रही थी तो वे बोले कि अगली बार हब हम मिलेंगे तब मैं तुमसे जानूंगा कि पाइथागोरस प्रमेय की उत्पत्ति अब कैसे की जाती है।
- अगर आपने पाइथागोरस प्रमेय पढ़ा है तो यह n की जगह २ रखने पर होता है, n को अगर २ लें तो ऐसी कई संख्याएँ हैं जैसे x=3, y=4, z=5 (3^2 + 4^2 = 5^2). पर क्या n>२ के लिए ऐसी तीन संख्याएं x,y,z सम्भव हैं?
- इस पुस्तक में की ऐसी समस्याएं शामिल की गयी थी जहाँ ज्यामिति का प्रयोग किया गया था, जैसे कि वर्गों और वृत्तों की सतह का क्षेत्रफल निकालना, विभिन्न त्रिविमीय आकृतियों में ठोस पदार्थों का आयतन निकालना और साथ ही पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग भी इसमें शामिल था.
- इस पुस्तक में की ऐसी समस्याएं शामिल की गयी थी जहाँ ज्यामिति का प्रयोग किया गया था, जैसे कि वर्गों और वृत्तों की सतह का क्षेत्रफल निकालना, विभिन्न त्रिविमीय आकृतियों में ठोस पदार्थों का आयतन निकालना और साथ ही पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग भी इसमें शामिल था.
- अगर आपने पाइथागोरस प्रमेय पढ़ा है तो यह n की जगह २ रखने पर होता है, n को अगर २ लें तो ऐसी कई संख्याएँ हैं जैसे x = 3, y = 4, z = 5 (3 ^ 2 + 4 ^ 2 = 5 ^ 2).
- अ) वैदिक काल (१००० इस्वी पूर्व तक)-शुन्य और दशमलव की खोज ब)उत्तर वैदिक काल (१००० से ५०० इस्वी पूर्व तक)इस युग में गणित का भारत में अधिक विकास हुआ | इसी युग में बोधायन शुल्व सूत्र की खोज हुई जिसे हम आज पाइथागोरस प्रमेय के रूप मे जानते है| २. पूर्व मध्य काल-